सावन में नॉनवेज खाना क्यों मना है? धार्मिक आस्था ही नहीं, वैज्ञानिक कारण भी हैं बेहद महत्वपूर्ण
बारिश के मौसम में पाचन से लेकर संक्रमण तक, कई वजहें हैं नॉनवेज से परहेज की

नई दिल्ली, 31 जुलाई 2025
सावन का महीना आते ही बहुत से लोग अपने खानपान में बदलाव करते हैं। सप्ताह में कई बार मांसाहार करने वाले भी इस दौरान नॉनवेज से दूरी बना लेते हैं। जहां एक ओर यह परंपरा धार्मिक भावनाओं से जुड़ी है, वहीं दूसरी ओर इसके पीछे वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी है, जो इसे और भी तर्कसंगत बनाता है।
शिवभक्ति और सात्विक जीवनशैली
सावन को भगवान शिव का पवित्र महीना माना जाता है। इस दौरान व्रत, उपवास और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस समय सात्विक और शुद्ध आहार लेना चाहिए। इसी कारण से मांस-मदिरा, धूम्रपान और अन्य तामसिक चीजों से परहेज करने की परंपरा रही है।
बुजुर्ग अक्सर इस महीने में नॉनवेज त्यागने की सलाह देते हैं, ताकि घर का वातावरण पवित्र और शांत बना रहे।
पाचन तंत्र पर मौसम का असर
सावन के महीने में लगातार बारिश और वातावरण में नमी बढ़ने से शरीर की पाचन क्षमता कमजोर हो जाती है। डॉक्टरों के अनुसार इस समय भारी और प्रोटीन युक्त भोजन को पचाना कठिन हो जाता है। नॉनवेज जैसे मांस और मछली को आमतौर पर पचने में 5 से 6 घंटे लगते हैं, लेकिन सावन में यह प्रक्रिया 8 से 10 घंटे तक खिंच सकती है। इससे पेट में गैस, अपच और एसिडिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
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संक्रमण का बढ़ा हुआ खतरा
मानसून में खानपान और जल स्रोत अधिकतर संक्रमित हो जाते हैं। मछलियों और अन्य जानवरों में बैक्टीरिया और परजीवी पनपने लगते हैं। इस वजह से इनका सेवन करने से शरीर में संक्रमण फैल सकता है। डॉक्टर्स इस मौसम में संक्रमित मांस या सी-फूड से दूर रहने की सलाह देते हैं, ताकि पेट और आंतों से जुड़ी समस्याओं से बचा जा सके।
प्रजनन काल का सम्मान
मानसून का मौसम जल और थल दोनों जीवों के लिए प्रजनन का काल होता है। यह समय उनके जीवनचक्र का अहम हिस्सा होता है। ऐसे में इन जीवों का शिकार करना या उनका सेवन करना उनकी प्रजनन प्रक्रिया में हस्तक्षेप करना माना जाता है। यही कारण है कि प्राचीन ग्रंथों में भी वर्षा ऋतु में मांस भक्षण से परहेज की बात कही गई है।
कुछ शाकाहारी चीजों से भी करें परहेज
आयुर्वेद के अनुसार सावन में सिर्फ नॉनवेज नहीं, बल्कि कुछ शाकाहारी चीजें भी वर्जित मानी जाती हैं। जैसे कि दही, कढ़ी, करेला, बैंगन, हरी पत्तेदार सब्जियां, मूली और कटहल का सेवन इस समय पाचन में बाधा डाल सकता है और वात दोष को बढ़ा सकता है।
इसलिए इस महीने हल्का, सुपाच्य और सात्विक भोजन लेना ही शरीर और मन दोनों के लिए हितकारी होता है।
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