Sat, 23 Dec 2023 11:50 AM
रामलला की प्राणप्रतिष्ठा के कार्यक्रम की पूरी जिम्मेदारी काशी के वैदिक ब्राह्मणों पर है। काशी से ही हवन, पूजन और प्राणप्रतिष्ठा समारोह की सामग्री अयोध्या पहुंचेगी। 26 दिसंबर को काशी के ब्राह्मणों का पहला जथा रवाना होगा, जिसके साथ ही यज्ञ कुंड और पूजन मंडप का कार्य भी आरंभ हो जाएगा। प्राणप्रतिष्ठा समारोह में चारों वेदों के साथ ही कृष्ण यजुर्वेदीय शाखा के 51 वैदिक ब्राह्मण काशी से रवाना करेंगे।
रामलला की प्राणप्रतिष्ठा 84 सेकंड के सूक्ष्म मुहूर्त में होगी और यह मुहूर्त भारत के लिए संजीवनी का कार्य करेगा। इस घड़ी में पंच बाण से मुक्ति प्राप्त होगी, जिससे रामलला भारत के विश्वगुरु बनने की राह में सहारा देगी। ग्रहों की अनुकूलता इस मुहूर्त को संपूर्ण भारत के लिए कल्याणकारी बना रही है।
इस मुहूर्त का लाभ देशभर के लोगों के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी है। राममंदिर में रामलला की प्राणप्रतिष्ठा के लिए देशभर से कई मुहूर्त प्रस्तुत किए गए थे, लेकिन अंत में गीर्वाणवाग्वर्धिनी सभा ने 22 जनवरी को सबसे शुभ मुहूर्त का चयन किया। इसमें काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ ने अपना सहमति दिया है। 22 जनवरी की तारीख पांच बाण, अग्नि बाण, मृत्यु बाण, चोर बाण, नृप बाण और रोग बाण से पूरी तरह मुक्त है, जिससे यह देश के लिए संजीवनी योग का रूप धारण कर रहा है।
काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण और राममंदिर के शिलान्यास का मुहूर्त तय करने वाले पं. गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ ने बताया कि अभिजीत मुहूर्त में श्रीरामजन्मभूमि में रामलला की मूर्ति स्थापना के लिए यह अत्यंत सूक्ष्म मुहूर्त है। यह मुहूर्त दोपहर में 12 बजकर 29 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकेंड तक का है।
अभिजीत मुहूर्त में प्राणप्रतिष्ठा से रामजी के राज्य में वृद्धि होगी, और गीर्वाणवाग्वर्धिनी सभा ने इस मुहूर्त को सर्वाधिक
शुभ माना है। प्राणप्रतिष्ठा मुहूर्त पर आई आपत्तियों को सभा ने खारिज किया है और राममंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के स्वामी गोविंद देव गिरि महाराज ने मुहूर्त के दौरान आई आपत्तियों के निराकरण के लिए काशी गीर्वाणवाग्वर्धिनी सभा को पत्र लिखा था।
पं. गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ ने बताया कि रामजी का जन्मनक्षत्र पुनर्वसु है, जिससे गणना करने पर तृतीय पर्यय में रोहिणी नक्षत्र रामजी को वधतारा पड़ती है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए मृगशिरा नक्षत्र के तीसरे चरण में कोई दोष नहीं है, और रामजी के लिए मृगशिर्ष मैत्र तारा है जो प्रधानमंत्री के लिए शुभ है। सोमवार को प्राणप्रतिष्ठा होने से प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है, और सोमवार, मृगशिर्ष नक्षत्र, और पंचबाण से मुक्त होने पर प्राणप्रतिष्ठा ने संजीवनी योग का निर्माण किया है।
काशी से ही अयोध्या जाने वाले वैदिक ब्राह्मण 108 कलश, पंचगव्य, समीधा, सहस्त्रछिद्राभिषेक के लिए घड़ा, तीर्थों का जल, नवरत्न, पंचरत्न, पारा और सप्तधान्य लेकर जाएंगे। कर्मकांडी पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित के आचार्यत्व में देश भर के 121 वैदिक ब्राह्मण प्राणप्रतिष्ठा मुहूर्त को संपन्न करेंगे, और इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को कांची के शंकराचार्य शंकर जयेंद्र सरस्वती ने संचालित करने के लिए चुना है।
प्राणप्रतिष्ठा का आरंभ 16 जनवरी को सरयू की जलयात्रा के साथ होगा, जिसमें पहले दिन भगवान की मूर्ति को नगर भ्रमण कराया जाएगा। 17 जनवरी को गणेश पूजन के साथ ही प्राणप्रतिष्ठा समारोह की शुरूआत होगी और 22 जनवरी को अभिजीत मुहूर्त में प्राणप्रतिष्ठा होगी, जिसमें पहली आरती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उतारी जाएगी।