15 फ़रवरी 2024
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने व्यास तहखाने में पूजा के मामले पर अपना फैसला सुरक्षित किया है। गुरुवार को, ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा को लेकर चल रही याचिका की सुनवाई को पूरा किया गया। इसके पश्चात, कोर्ट ने अपना फैसला रिजर्व कर लिया है। सुनवाई के बाद, जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने दोनों पक्षों को अपने चैम्बर में बुलाया है। फैसला आज ही सुनाया जा सकता है।
व्यास तहखाने में पूजा के खिलाफ याचिका की सुनवाई में सबसे पहले, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने बहस की। उन्होंने तकरीबन 40 मिनट तक दलीलें पेश की, जिसमें उन्होंने कहा कि तहखाना व्यास के दाहिने हिस्से में स्थित है, जहां हिंदू वर्ष 1993 तक पूजा कर रहे थे। उन्होंने इसे सीपीसी के तहत वाराणसी कोर्ट ने डीएम को रिसीवर नियुक्त किया था।
इसके पश्चात, मुस्लिम पक्ष की ओर से सीनियर एडवोकेट सैयद फरमान अहमद नकवी व यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता ने बहस की। मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने व्यास तहखाने में पूजा अर्चना की इजाजत दिए जाने के जिला जज वाराणसी के फैसले को चुनौती दी है।
यह एक महत्वपूर्ण मामला है जिसमें धार्मिक और सामाजिक आधार पर अपनी दलीलें रखी गई हैं। सुप्रीम कोर्ट के वारिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने बताया कि वाराणसी जिला कोर्ट ने डीएम वाराणसी को रिसीवर नियुक्त किया और विधिवत पूजा की इजाजत दी।
इस मामले में विवाद इसलिए उत्पन्न हुआ क्योंकि मुस्लिम पक्ष ने तहखाने में पूजा की इजाजत देने के फैसले का विरोध किया था। उनका कहना था कि तहखाने में पूजा करने का अधिकार केवल हिंदू समुदाय को होना चाहिए।