नई दिल्ली, 19 मार्च 2024
दूसरा शाहरुख खान ला ट्रोब यूनिवर्सिटी पीएचडी स्कॉलरशिप, नई दिल्ली की एक छात्रा सुमायरा को प्रदान किया गया। इस छात्रा में कमजोर समुदायों के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने का जुनून है जिसे पूरा करने के लिए वह ऑस्ट्रेलिया में उच्च शिक्षा लेगी ।
दिल्ली में आयोजित एक गाला डिनर में ला ट्रोब विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर थियो फैरेल ने सुमायरा खान को शाहरुख खान ला ट्रोब विश्वविद्यालय पीएचडी स्कॉलरशिप – 2024 प्रदान किया जिसके तहत सुमायरा को 225,000 (एयूडी) डॉलर से अधिक की राशि दी जाएगी।
चार साल के इस स्कॉलरशिप के लिए इस प्रतिस्पर्धा में शामिल पूरे भारत के आवेदकों में से सुमायरा को चुना गया। यह स्कॉलरशिप मानवता और सामाजिक समता में शाहरुख खान (एसआरके) की उपलब्धियों का सम्मान है । यह पीएचडी स्कॉलरशिप भारतीय फिल्म महोत्सव मेलबर्न के साथ ला ट्रोब की लंबी साझेदारी से मुमकिन हो पाया है।
यह स्कॉलरशिप पूरी दुनिया में बड़े बदलाव लाने की इच्छुक महिला भारतीय शोधकर्ताओं को सहयोग देने के लिए डिजाइन की गई है। सुमायरा इस स्कॉलरशिप से ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में ला ट्रोब के अत्याधुनिक संस्थानों में शोध कर पाएंगी।
सुमायरा चिकित्सा मानवविज्ञानी डॉ. टैरिन फिलिप्स और डॉ. कैथरीन ट्रंडल के साथ काम करेंगी। उनका लक्ष्य ऑस्ट्रेलिया में उन दक्षिण एशियाई प्रवासी महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने के विभिन्न प्रयासों को जानना है जिन्हें टाइप 2 डायबीटीज़ का अधिक खतरा है। इस अध्ययन में कथित महिलाओं की निजी देखभाल की क्षमता बढ़ाने और बाधित करने वाले कारकों को बेहतर समझने का प्रयास किया जाएगा। इससे ऑस्ट्रेलिया और भारत के स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रमों के तहत बेहतर स्वास्थ्य सेवा, सुलभता और समता के बारे में महिलाओं को जानकारी मिलेगी ।
सुमायरा ने कहा, “मैं शाहरुख खान स्कॉलरशिप प्राप्त कर बहुत आभारी महसूस कर रही हूं। इससे मेरी और मेरे परिवार की जिन्दगी बदलने वाली है। मैं ला ट्रोब के शोधकर्ताओं के वैश्विक समुदाय से संवाद करने के लिए उत्साहित हूं। यह मेरे लिए सबसे गौरवपूर्ण उपलब्धि है” ।
शाहरुख खान ने बताया कि उन्हें भारतीय महिलाओं की प्रगति में योगदान देने की खुशी है । इससे न केवल भारतीय समुदायों की चुनौतियां दूर करने बल्कि दुनिया के अन्य मुद्दों के समाधान में भी सफलता मिलेगी।
शाहरुख खान ने कहा, “सुमायरा में कमजोर समुदायों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा सुलभ कराने का जो जुनून है वह प्रेरणादायक है। विज्ञान के माध्यम से अन्य भारतीय महिलाएं भी सुमायरा के सफर से सीख सकती हैं, जो जन जीवन में सुधार करना चाहती हैं । “
“इस स्कॉलरशिप के माध्यम से सुमायरा को ला ट्रोब विश्वविद्यालय मेलबर्न में बेहतर भविष्य बनाने और शिक्षा प्राप्त करने में सहयोग देने की मुझे खुशी है । “
ला ट्रोब के वाइस चांसलर प्रोफेसर थियो फैरेल ने कहा कि विश्वविद्यालय को एक ऐसी छात्रा को शाहरुख खान ला ट्रोब यूनिवर्सिटी पीएचडी स्कॉलरशिप देने का गर्व है जिसका लक्ष्य हमारे समुदाय के कुछ सबसे कमजोर लोगों की मदद करना है।
प्रोफेसर फैरेल ने बताया, “ला ट्रोब और शाहरुख खान के बीच एक अटूट संबंध रहा है। दोनों शिक्षा के माध्यम से जन जीवन बदलने और दुनिया की कुछ सबसे गंभीर चुनौतियां दूर करने का साझा दृष्टिकोण रखते हैं। स्कॉलरशिप देने का यह सिलसिला इसकी मिसाल है।”
” ला ट्रोब में हम सहर्ष सुमायरा का स्वागत करते हैं।”
भारतीय फिल्म महोत्सव मेलबर्न की निदेशक मितु भौमिक ने भारतीय महिलाओं को शिक्षा के बेहतर अवसर देने के लक्ष्य से जारी इस सहयोग के लिए ला ट्रोब को धन्यवाद दिया ।
उन्होंने कहा, “इस स्कॉलरशिप के लिए हमारे महोत्सव में एसआरके और ला ट्रोब विश्वविद्यालय को एक मंच पर लाने की हमें बहुत खुशी है। इससे भारतीय छात्राओं को जिन्दगी में कुछ खास करने का अवसर मिलता है और भावी पीढ़ियों को भी इससे प्रेरणा मिलती है ।”
सुमायरा के अपने परिवार में ही उसके छोटे भाई को ऑटिज्म की गंभीर समस्या थी। उसकी देखभाल के अनुभव से सुमायरा में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा बेहतर बनाने का जुनून आया ।
सुमायरा ने मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) से 2022 में मास्टर ऑफ पब्लिक हेल्थ में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। अपने समूह में सर्वोच्च ग्रेड प्राप्त करने के लिए सुमायरा को प्रथम वर्ष की सर्वश्रेष्ठ छात्रा का अकादमिक पुरस्कार भी दिया गया।
सुमायरा ने ‘सेव द चिल्ड्रन’ और ‘संगत’ में इंटर्नशिप पूरी की । वह दिल्ली के अंदर खुले मंं शौच करने को मजबूर महिलाओं के अनुभवों को जानने और भारत में शुरुआती बचपन के विकास के मद्देनजर अनुसंधान क्षेत्रों को समझने में लगी हैं। सुमायरा ने भारत में एक सामाजिक विकास अनुसंधान संगठन के साथ काम करते हुए प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत बनाने और वैक्सीन लेने में झिझक दूर करने जैसे अहम क्षेत्रों को गंभीरता से जानने का प्रयास किया है।
उन्होंने बताया, “मैं ऑस्ट्रेलिया में शोध करने का अवसर प्राप्त कर बेहद खुश हूं। मुझे विश्वास है कि मेरी कहानी से पूरे भारत की छात्राएं प्रेरित होंगी और सफलता की नई ऊंचाई छूने के लिए उत्साहित होंगी। उन्हें यह दृढ़ विश्वास हो जाएगा कि महिलाओं के लिए भी अपने सपने पूरे करना संभव है।”
पहली बार शाहरुख खान ला ट्रोब यूनिवर्सिटी पीएचडी स्कॉलरशिप प्राप्त करने वाली छात्रा गोपिका कोट्टनथारायिल भासी ने मधुमक्खी वायरस के मद्देनजर कार्य क्षेत्र में लागू करने योग्य नैदानिक परीक्षण में अपनी पीएचडी का पहला वर्ष पूरा कर लिया है और उनका मकसद मधुमक्खियों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए विभिन्न उपचारों का विकास करना है।
ला ट्रोब शाहरुख खान को मानद उपाधि देने वाला पहला ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय है जिसने 2019 में विश्वविद्यालय के मेलबर्न परिसर के एक समारोह में उन्हें डॉक्टर ऑफ लेटर्स (मानद उपाधि) की उपाधि से सम्मानित किया। शाहरुख को यह सम्मान मीर फाउंडेशन की स्थापना सहित अन्य जन हित कार्यों के लिए दिया गया। गौरतलब है कि मीर फाउंडेशन भारत में एसिड हमला पीड़ित महिलाओं को सहायता और सबलता प्रदान करता है।
पृष्ठभूमि
- ला ट्रोब विश्वविद्यालय 2010 से भारतीय फिल्म महोत्सव मेलबर्न (आईएफएफएम) का बतौर संस्थापक भागीदार एक बड़ा समर्थक रहा है। यह इस महोत्सव का एक्सक्लुसिव युनिवर्सिटी और लर्निंग पार्टनर है। यह भारतीय संस्कृति के प्रति ला ट्रोब के समर्थन का एक ठोस प्रमाण देता है और इस लिहाज से खास पहचान रखता है ।
- ला ट्रोब दो ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों में से एक है जहां हिन्दी की पढ़ाई होती है।
- 1964 में ला ट्रोब विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर अब तक भारतीय उपमहाद्वीप के 11,000 से अधिक विद्यार्थी इस विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि ले चुके हैं।
- ला ट्रोब विश्वविद्यालय को पूरी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ 1 प्रतिशत विश्वविद्यालयों में विशेष स्थान दिया गया है (टाइम्स हायर एजुकेशन, 2021) मीडिया रिलीज – मंगलवार 19 मार्च 2024 3:3
- ला ट्रोब विश्वविद्यालय को भारतीय उपमहाद्वीप के कई गणमान्य लोगों की मेजबानी का अवसर मिला है। कुछ खास नाम हैं भूतपूर्व प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी, शाहरुख खान, कपिल देव, मलायका अरोरा खान, अमिताभ बच्चन, राजकुमार हिरानी और अभिजात जोशी ।
- 2005 में पूरी तरह ऑस्ट्रेलिया में बनी प्रमुख बॉलीवुड ब्लॉकबस्टर फिल्म बुंदूरा स्थित ला ट्रोब मेलबर्न कैम्पस में फिल्माई गई। यह फिल्म सलाम नमस्ते बॉक्स ऑफिस पर लगभग 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर का कारोबार करने में सफल रही।
- ला ट्रोब लाइब्रेरी में 38,000 से अधिक भारतीय मोनोग्राफ, जर्नल, पत्रिकाओं और सरकारी प्रकाशनों का संग्रह है। यह ऑस्ट्रेलिया में सबसे बड़े भारतीय संग्रहों में से एक है।