वर्ल्ड बैंक ने कहा कि भारत की तेज विकास दर और पाकिस्तान और श्रीलंका की अर्थव्यवस्थाओं में आ रहे सुधार से दक्षिण एशियाई देशों की कुल विकास दर तेज होगी।
3अप्रैल 2024,
भारत की अर्थव्यवस्था को अच्छी खबर मिली है। वास्तव में, वर्ल्ड बैंक ने भारत की अर्थव्यवस्था को 2024 तक 7.5% की दर से बढ़ाने का अनुमान लगाया है। यह विश्व बैंक के पूर्वानुमान से 1.2 प्रतिशत अधिक है। साथ ही, विश्व बैंक ने कहा कि दक्षिण एशिया के सभी देश 6% की मजबूत दर से विकास करेंगे।
भारत दक्षिण एशिया के विकास का इंजन रहेगा
वर्ल्ड बैंक ने कहा कि भारत की तेज विकास दर और पाकिस्तान और श्रीलंका की अर्थव्यवस्थाओं में आ रहे सुधार से दक्षिण एशियाई देशों की कुल विकास दर तेज होगी। यह अनुमान मंगलवार को विश्व बैंक के दक्षिण एशिया विकास पर ताजा अपडेट में दिखाया गया है। वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगले दो वर्षों में दक्षिण एशियाई क्षेत्र विश्व में सबसे तेज विकास देखेगा। दक्षिण एशियाई देशों का कुल विकास दर भी 2025 में 6.1% रहने का अनुमान है।
वर्ल्ड बैंक ने एक रिपोर्ट में कहा, “भारत की अर्थव्यवस्था दक्षिण एशिया की कुल अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ी है और भारत की विकास दर वित्तीय वर्ष 2023-24 में 7.5 फीसदी रह सकती है।” मिड टर्म के बाद यह 6.6% पर वापस आ सकता है। भारत की विकास दर में सेवा क्षेत्र और औद्योगिक विकास सबसे महत्वपूर्ण होंगे।बांग्लादेश की विकास दर 5.7 प्रतिशत की दर से वित्तीय वर्ष 2024-25 में बढ़ने की उम्मीद है। लेकिन बढ़ती महंगाई, व्यापार और विदेशी मुद्रा विनिमय पर लगातार प्रतिबंध, विकास दर को प्रभावित करेंगे।
श्रीलंका और पाकिस्तान की अर्थव्यवस्थाओं में सुधार का संकेत
पाकिस्तान जैसे दक्षिण एशिया के एक और देश की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है। पाकिस्तान की विकास दर वित्तीय वर्ष 2024-25 में 2.3 फीसदी रह सकती है, विश्व बैंक ने अनुमान लगाया है। वहीं श्रीलंका में विकास दर 2025 तक 2.5% रहेगी। श्रीलंका में पर्यटन और विदेशी धन की आमदनी में वृद्धि के संकेत हैं।
दक्षिण एशियाई देशों की विकास दर पर भी विश्व बैंक की रिपोर्ट चिंताजनक है। दक्षिण एशिया के विश्व बैंक के उपाध्यक्ष मार्टिन रेजर ने कहा, “दक्षिण एशिया की विकास दर कम समय मे तेजी से विकास कर रही है, लेकिन कमजोर राजकोषीय स्थिति और जलवायु परिवर्तन से क्षेत्र की विकास दर पर खतरे भी बड़े हैं।” दक्षिण एशियाई देशों को विकास को और अधिक लचीला बनाने के लिए ऐसी नीतियां बनाने की जरूरत है जो निजी निवेश और रोजगार विकास को बढ़ावा दें।’