उड़ीसा के पुरी में हर साल आयोजित होने वाली रथ यात्रा देश और विदेशों में अत्यंत प्रसिद्ध है। लाखों लोग दूर-दूर से इस पवित्र यात्रा में भाग लेने के लिए आते हैं। इस वर्ष यह रथ यात्रा 7 जुलाई से प्रारंभ हो रही है।
06 जुलाई 2024, नई दिल्ली
उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ का विश्व प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को इस मंदिर से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। इस रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलराम और बहन सुभद्रा भी अपने-अपने रथों पर विराजमान होकर नगर भ्रमण करते हैं। मान्यता है कि इस विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा के साक्षात दर्शन करने से 1000 यज्ञ के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है।
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जगन्नाथ रथ यात्रा के पीछे की पौराणिक कथाएं
भगवान जगन्नाथ का नगर भ्रमण
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवी सुभद्रा को नगर भ्रमण की इच्छा हुई। तब भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर बैठकर नगर भ्रमण के लिए गए। इस दौरान वे अपनी मौसी गुंडिचा देवी के घर भी गए और सात दिनों तक वहां विश्राम किया। तभी से यह यात्रा जगन्नाथ रथ यात्रा का प्रारूप बन गई।
भगवान श्रीकृष्ण की रास लीला कथा
दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान श्रीकृष्ण की रानियां माता रोहिणी से बोलीं कि वे श्रीकृष्ण की रास लीला की कथाएं सुनाएं। माता रोहिणी चाहती थीं कि श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा इन कथाओं को न सुने, इसलिए उन्होंने सुभद्रा को उनके भाई बलराम और श्रीकृष्ण के साथ रथ यात्रा के लिए भेज दिया। यात्रा के दौरान नारद जी प्रकट होते हैं और तीनों भाई-बहन को एक साथ यात्रा पर देखकर प्रसन्न हो जाते हैं। तब नारद जी विनती करते हैं कि हर साल ऐसे ही तीनों भाई-बहनों के दर्शन भक्तों को होते रहें। भगवान नारद जी की विनती स्वीकार कर लेते हैं और तभी से हर साल रथ यात्रा निकाली जाती है। इस रथ यात्रा को देखने के लिए देश-विदेश से कई लाख भक्त यहां आते हैं।
वेदव्यास जी की प्रार्थना
एक अन्य कथा के अनुसार, एक बार वेदव्यास जी ने भगवान श्रीकृष्ण से प्रार्थना की थी कि वे अपने सभी भक्तों को दर्शन दें। इस प्रार्थना के उत्तर में भगवान ने इस यात्रा का आयोजन किया था। यह भी कहा जाता है कि रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ का अपने भक्तों के साथ आनंद विहार करने का तरीका है। वे रथ पर सवार होकर शहर की गलियों में घूमते हैं और अपने भक्तों को दर्शन देते हैं।