जगन्नाथ मंदिर रत्न भंडार की मरम्मत पूरी होने के बाद, कीमती सामान को बड़े-बड़े लकड़ी के संदूकों में रखा जाएगा, और सूची तैयार की जाएगी।
15 जुलाई , 2024
दिल्ली: 46 साल बाद, ओडिशा के पुरी में 12वीं शताब्दी के जगन्नाथ मंदिर का “रत्न भंडार” खोला गया है, जहां मरम्मत की जरूरत है। इस रत्न भंडार में आभूषण, महंगी वस्तुएं और अन्य बहुमूल्य सामान भी हैं। अब इन्हें एक अस्थाई स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाएगा। पहले महंगे वस्तुओं और आभूषणों को बड़े-बड़े लकड़ी के संदूकों में रखा जाएगा, जो खासतौर ऑडर पर बनाए गए हैं।
इन संदूकों में पीतल और सागवान की लकड़ी का उपयोग किया गया है। माना जाता है कि सागवान की लकड़ी का उपयोग लंबे समय तक मूल्यवान वस्तुओं को सुरक्षित रखने के लिए किया गया है।
1978 में जब जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के द्वार पहली बार खोले गए। रत्न भंडार को आभूषणों, मूल्यवान वस्तुओं की सूची बनाने और भंडार गृह की मरम्मत करने के लिए ही खोला गया था।
आभूषणों और महत्वपूर्ण वस्तुओं को सुरक्षित रखने के लिए पंद्रह संदूक बनाने का आदेश 12 जुलाई को दिया गया था, लेकिन 14 तारिख तक सिर्फ छह संदूक बन पाए। अगले दो या तीन दिनों में सभी पंद्रह संदूक बनकर तैयार हो जाएंगे। इसके बाद, आभूषणों और महत्वपूर्ण वस्तुओं को इन संदूकों में रखा जाएगा।
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रत्न भंडार में रखे गए महंगे सामान को ले जाने के लिए मंदिर में लकड़ी के छह संदूक पहुंचे हैं। पानी और हवा से सुरक्षित रखने के लिए इन संदूकों के अंदर पीतल लगा हुआ है। मंदिर समिति से संबंधित एक अधिकारी ने बताया है कि सागवान की लकड़ी से निर्मित ये संदूके चार पांच फुट लंबी, दो पांच फुट ऊंचा और दो पांच फुट चौड़ा हैं।
इन संदूकों को बनाने वाले एक कारीगर ने कहा है , “मंदिर प्रशासन ने 12 जुलाई को हमें ऐसी 15 संदूकें बनाने के लिए कहा था।” 48 घंटे की मेहनत के बाद छह संदूक बनाए गए।फिलहाल गुंडीचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की प्रतिमाएं हैं, जहां सात जुलाई को रथ यात्रा की जाएगी।
जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को सुरक्षित रखने के लिए सागवान की लकड़ी के खास संदूक बनाए गए हैं। दरअसल, सागवान की लकड़ी अत्यंत कठोर होती है। ये चिकनी और चमकदार होती है , ये पानी में खराब नहीं होती। साथ ही, सागवान की लकड़ी में प्राकृतिक तेल होने से दीमक और कीड़े नहीं लगते।
यह लकड़ी बाहरी उपयोग के लिए अच्छी होती है क्योंकि यह नमी और तापमान में बदलाव के प्रति प्रतिरोधी है। शानदार फर्नीचर, जैसे कुर्सियां, मेज और अलमारी, आमतौर पर सागवान की लकड़ी से बनाए जाते हैं। यह फर्नीचर वर्षों तक चलते रहते है। सागवान की लकड़ी से मूर्ति भी बनाया जाता है ।
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