Justice Hima kohli 1 सितंबर को होंगी रिटायर, CJI ने बताया, ‘महिलाओं के अधिकारों की प्रबल रक्षक’

Justice Hima kohli 1 सितंबर को होंगी रिटायर, CJI ने बताया, ‘महिलाओं के अधिकारों की प्रबल रक्षक’

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “Justice Hima kohli के साथ बैठना मेरे लिए हमेशा खुशी की बात रही है। हमने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहराई से चर्चा की है, और कई मौकों पर उन्होंने मेरा साथ दिया है। हिमा, आप केवल एक महिला न्यायाधीश नहीं, बल्कि महिलाओं के अधिकारों की दृढ़ समर्थक भी हैं।”

Justice Hima kohli सुप्रीम कोर्ट में तीन साल की सेवा के बाद जस्टिस हिमा कोहली 1 सितंबर को सेवानिवृत्त हो जाएंगी। उन्हें “कामकाजी महिलाओं के अधिकारों की प्रबल समर्थक” के रूप में याद किया जाएगा। जस्टिस कोहली का 21 अगस्त, 2021 को सुप्रीम कोर्ट में प्रमोशन हुआ था। इससे पहले, उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय से पदोन्नत कर तेलंगाना हाई कोर्ट की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनाया गया था।

न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “जस्टिस कोहली के साथ बैठना मेरे लिए बहुत खुशी की बात है। हमने कई गंभीर मुद्दों पर विचार-विमर्श किया है। कई मौकों पर उन्होंने मेरा समर्थन किया है। हिमा, आप केवल एक महिला न्यायाधीश ही नहीं, बल्कि महिलाओं के अधिकारों की एक प्रबल समर्थक भी हैं।”

2007 में बनी स्थायी न्यायाधीश

जस्टिस हिमा कोहली (Justice Hima kohli) को 2006 में दिल्ली हाई कोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था, और 2007 में उन्हें स्थायी न्यायाधीश बना दिया गया था। जस्टिस कोहली के सेवानिवृत्त होने के बाद, सुप्रीम कोर्ट में केवल दो महिला न्यायाधीश, जस्टिस बीवी नागरत्ना और बेला एम त्रिवेदी, ही शेष रहेंगी। सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश सहित कुल 34 न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या है।

Justice Hima kohli
Justice Hima kohli 1 सितंबर को होंगी रिटायर, CJI ने बताया, ‘महिलाओं के अधिकारों की प्रबल रक्षक’

दिल्ली में शिक्षा

जस्टिस हिमा कोहली (Justice Hima kohli) का बचपन दिल्ली में बीता। उन्होंने सेंट थॉमस स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की और दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इतिहास (ऑनर्स) में स्नातक किया। इसके बाद उन्होंने इतिहास (ऑनर्स) में एमए की डिग्री प्राप्त की। 1984 में, उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई पूरी की।

तीनों वकील जिनके साथ काम किया, उच्च न्यायालय के जज बने

जस्टिस कोहली (Justice Hima kohli) ने 1984 में दिल्ली बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में नामांकन कराया और दिल्ली की अदालतों में वकालत शुरू की। इसके बाद उन्होंने सुनंदा भंडारे के चैंबर में काम किया, जो बाद में दिल्ली हाई कोर्ट की न्यायाधीश बनीं। फिर उन्होंने वाई के सभरवाल और विजेंद्र जैन के चैंबर में काम किया। दिलचस्प बात यह है कि इन तीनों वकीलों के साथ काम करते हुए वे सभी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने।

सुप्रीम कोर्ट का कार्यकाल

सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान, जस्टिस कोहली ने 81 में से 37 फैसले लिखवाए। वे पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ का हिस्सा थीं, जिसने यह निर्णय दिया कि भारत में LGBTQI व्यक्तियों को विवाह करने का मौलिक अधिकार नहीं है। उन्होंने एक विवाहित महिला को गर्भपात की अनुमति नहीं दी और एक मेडिकल बोर्ड के डॉक्टर के ईमेल पर भरोसा किया, जिसमें कहा गया था कि भ्रूण के जीवित रहने की पूरी संभावना है।

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