क्या ‘अमेरिकन ड्रीम’ अब सिर्फ एक भ्रम बनकर रह गया है?
13 नवंबर 2024, नई दिल्ली
अमेरिका, जहां हर किसी का सपना सच होता है। भारतीयों के लिए यह किसी जादुई दुनिया से कम नहीं, जहां टैलेंट को पहचान मिलती है और मेहनत का फल बेहतरीन डॉलर में मिलता है। लेकिन वही अमेरिका, जो हमेशा लोगों के लिए एक सुरक्षित आश्रयस्थल रहा है, अब खुद अपने नागरिकों के लिए डर और चिंता का पर्याय बनता जा रहा है।
डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति पद पर वापसी के बाद, इस देश के लाखों नागरिक अपनी जड़ों को छोड़कर नए विकल्प तलाशने पर मजबूर हो गए हैं। वो लोग, जिन्होंने इस मिट्टी में अपने सपनों की नींव रखी थी, अब उसे छोड़ने की बात कर रहे हैं।
ट्रंप की वापसी से क्यों डरे हैं अमेरिकी?
यह कहानी केवल राजनीतिक बदलाव की नहीं है, बल्कि भावनाओं के तूफान की है। न्यूयॉर्क से लेकर कैलिफोर्निया तक, एक खास वर्ग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है। लिबरल विचारधारा रखने वाले अमेरिकियों को लगता है कि ट्रंप के कार्यकाल में उनकी आवाज को दबाया जाएगा।
एक महिला ने सोशल मीडिया पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए लिखा,
“हमने 30 साल तक वोट किया है। हमने इस देश को अपना सबकुछ दिया। लेकिन अब, हमें अपना सामान बांधना पड़ रहा है। यह हमारा अमेरिका नहीं रहा।”
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2016 की यादें और आज का भय
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप के सत्ता में आने से ऐसा माहौल बना हो। 2016 में, जब उन्होंने पहली बार राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी, तब भी हजारों लोग अमेरिका छोड़ने की बात कर रहे थे। उस समय इसे “AmerExit” का नाम दिया गया था। जस्टिन नेपर, जो उस समय कैलिफोर्निया छोड़कर पुर्तगाल चले गए थे, आज भी वही दर्द महसूस करते हैं।
“मेरे आधे दोस्त आज अमेरिका छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं। राजनीतिक वजहों से इस देश में रहना अब मुश्किल हो गया है,” जस्टिन ने कहा।
खास वीजा और नई जिंदगी की तलाश
डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां, खासकर इमीग्रेशन और एंटी-अबॉर्शन, ने कई अमेरिकियों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि उन्हें बेहतर भविष्य के लिए कहीं और जाना होगा। अमेरिका का खास वीजा, जो नागरिकों को दूसरे देशों में काम करने की अनुमति देता है, अब एक नई आशा बन चुका है।
गूगल पर “कैसे अमेरिका छोड़ें?” जैसे सवाल सबसे ज्यादा खोजे जा रहे हैं। लोग कनाडा, मैक्सिको, और यूरोप की ओर देख रहे हैं, जहां उन्हें सुरक्षा और शांति मिल सके।
सोशल मीडिया पर दर्द और डर
सोशल मीडिया पर हर जगह बहस छिड़ी हुई है। लोग एक-दूसरे से पूछ रहे हैं,
“क्या कनाडा जाने का सही समय है?”
“मैक्सिको में जॉब अपॉर्च्युनिटीज कैसी हैं?”
एक महिला ने अपनी व्यथा साझा की:
“मुझे डर लगता है। मुझे अपने बच्चों के लिए डर लगता है। यह मेरा देश था, मेरा घर था। लेकिन अब, यह डर का घर बन गया है।”
अमेरिका का खोता जादू
जो अमेरिका कभी सपनों का देश था, वह अब खुद अपने नागरिकों के लिए एक सवाल बन गया है। क्या यह वही जगह है, जहां टैलेंट को सम्मान मिलता है? क्या यह वही देश है, जो आज़ादी का प्रतीक था?
शायद ट्रंप के नए कार्यकाल में कुछ बदल जाए। या शायद, यह बदलाव ही अमेरिकी सपने की नई परिभाषा गढ़ेगा। लेकिन फिलहाल, हर तरफ केवल एक ही सवाल गूंज रहा है – “क्या हमें यह देश छोड़ देना चाहिए?”
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