शादी या साज़िश? युवाओं के दिलों में क्यों घर कर रहा है ‘गमोफोबिया’?

शादी या साज़िश? युवाओं के दिलों में क्यों घर कर रहा है ‘गमोफोबिया’?

शादी का डर: एक ऐसा राज़ जो युवाओं की ज़िंदगी बदल रहा है

13 नवंबर 2024, नई दिल्ली

देवउठनी एकादशी के बाद राजकोट में शादियों का सीजन शुरू होता है। चारों ओर बैंड-बाजे की गूंज और खुशियों का माहौल बनता है। लेकिन क्या आप जानते हैं, कुछ युवाओं के लिए शादी का नाम किसी खौफनाक सपने जैसा है? जी हां, जब माता-पिता शादी की बात करते हैं, तो कई युवा इस चर्चा को सुनते ही गायब हो जाते हैं। वे कहते हैं, “मुझे शादी नहीं करनी!” पर सवाल यह है कि क्या वे सच में शादी नहीं करना चाहते, या यह किसी गहरे डर का संकेत है?

गमोफोबिया: शादी का अनकहा डर


सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी की दो छात्राओं, दमाडिया पूजा और राठौड़ नैंसी ने इस अनजाने डर पर एक सर्वे किया। नतीजे चौंकाने वाले थे। 1242 लोगों पर किए गए सर्वे में 90.10% युवाओं ने स्वीकार किया कि शादी को लेकर आज के दौर में उनकी सोच बदल चुकी है।

67.80% युवाओं ने माना कि वे शादी की जिम्मेदारी उठाने से डरते हैं। 63.60% ने कहा कि शादी उनके करियर और जीवन के लक्ष्यों में रुकावट बन सकती है। और सबसे बड़ा कारण – 70.20% युवाओं को लगता है कि शादी से उनकी आज़ादी छिन जाएगी।

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शादी या साज़िश युवाओं के दिलों में क्यों घर कर रहा है ‘गमोफोबिया’

करियर और शादी के बीच उलझन


क्या करियर, शादी से बड़ा है? यह सवाल हर युवा के दिमाग में घर कर चुका है। सर्वे में 68.20% ने कहा कि करियर की व्यस्तता के कारण वे शादी को नज़रअंदाज़ करते हैं। और यही नहीं, 74.40% युवाओं का कहना था कि दूसरों के बुरे अनुभव उनके शादी से दूर रहने की वजह हैं।

पर क्या यह सब सच है, या फिर सिर्फ बहाने? 75.60% लोगों ने कहा कि उन्हें मनचाहा जीवनसाथी नहीं मिल पाता, इसलिए वे शादी का विचार ही छोड़ देते हैं। 74.40% ने आर्थिक तंगी को भी एक बड़ा कारण बताया।

भरोसे और स्वतंत्रता की दुविधा


शादी के लिए भरोसा ज़रूरी है, लेकिन 70.70% युवाओं का कहना था कि वे दूसरों पर विश्वास नहीं कर पाते। 65.40% ने माना कि पश्चिमी देशों की जीवनशैली की नकल ने भी शादी के प्रति उनके नजरिए को बदला है। और 84.70% ने कहा कि आज की पीढ़ी अधिक स्वतंत्रता चाहती है, जिससे शादी उनके लिए बोझ लगती है।

शादी से जुड़े छुपे डर


लेकिन सवाल यह है कि इस डर की असली वजह क्या है? 75.60% लोगों ने माना कि माता-पिता की असफल शादी युवाओं को डरा देती है। रिश्तों में कड़वाहट, तलाक के बाद का तनाव, और मनचाहे साथी का न मिलना – यह सभी कारण शादी से जुड़े डर को गहरा करते हैं।

क्या शादी का खौफ खत्म होगा?


आज के युवा एक नई सोच के साथ जीना चाहते हैं। वे नाम, पहचान, और करियर को प्राथमिकता देते हैं। कई लोग “लिव-इन रिलेशनशिप” को बेहतर विकल्प मानते हैं। रिश्तेदारों और खुद के बुरे अनुभवों के डर ने भी उन्हें शादी से दूर कर दिया है।

अंतिम सवाल


क्या यह शादी से दूरी वाकई सोच-समझकर लिया गया फैसला है, या फिर सिर्फ जिम्मेदारियों से भागने का बहाना? यह सवाल हर किसी को सोचना होगा, क्योंकि शादी का डर कहीं समाज के बदलते स्वरूप का संकेत तो नहीं?

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