प्रदूषण का बढ़ता असर: दवाइयां बेअसर, बच्चे और बुजुर्ग दोनों परेशान, घर में भी खतरा

प्रदूषण का बढ़ता असर: दवाइयां बेअसर, बच्चे और बुजुर्ग दोनों परेशान, घर में भी खतरा

गुरु तेग बहादुर अस्पताल के श्वसन औषधि विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ. अंकिता गुप्ता का कहना है कि बढ़ते प्रदूषण के कारण गंभीर मरीजों पर मौजूदा दवाओं का असर कम हो रहा है। ऐसे में इन मरीजों को दी जाने वाली दवाओं की खुराक बढ़ानी पड़ रही है।

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के कारण गंभीर मरीजों पर दवाइयों का असर कम होता जा रहा है। ऐसे मरीजों को अब दवाओं की खुराक बढ़ाने की जरूरत पड़ रही है। साथ ही, उन्हें वैक्सीनेशन करवाने की भी सलाह दी जा रही है।

विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में पीएम 2.5 का स्तर 500 से भी ऊपर पहुंच गया है। इस स्थिति में सीओपीडी, टीबी से उबरे मरीज, अंतरालीय फेफड़े की बीमारी (आईएलडी) और ब्रोंकियेक्टेसिस जैसी बीमारियों से पीड़ित गंभीर मरीज घर में भी सुरक्षित नहीं हैं।

ऐसे मरीजों में सांस फूलना, छाती में जकड़न और बेहोशी जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। कई बार उनकी स्थिति इतनी बिगड़ जाती है कि अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ता है। बच्चों पर भी प्रदूषण का असर साफ दिख रहा है। एक से सात साल के बच्चों में खांसी, सोते समय रोना और तेज सांस लेने जैसी परेशानियां आम हो गई हैं। डॉक्टर इन बच्चों को दवाओं के साथ-साथ भाप लेने की सलाह दे रहे हैं।

प्रदूषण
प्रदूषण का बढ़ता असर: दवाइयां बेअसर, बच्चे और बुजुर्ग दोनों परेशान, घर में भी खतरा

डॉक्टरों की चेतावनी और सलाह
गुरु तेग बहादुर अस्पताल की श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ. अंकिता गुप्ता ने कहा कि बढ़ते प्रदूषण के चलते गंभीर मरीजों की सामान्य दवाएं कारगर नहीं हो रही हैं। मरीजों को दिन में इनहेलर का उपयोग बढ़ाने और वैक्सीनेशन करवाने की सलाह दी जा रही है। पीएम 2.5 का बढ़ा स्तर नाक से फेफड़ों तक की नली को प्रभावित कर रहा है। इसलिए मरीजों को सतर्क रहने और नियमित रूप से डॉक्टरों से संपर्क में रहने की सलाह दी जा रही है।

सीओपीडी दिवस पर जागरूकता अभियान
विश्व क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) दिवस पर बुधवार को जीटीबी, डॉ. राम मनोहर लोहिया और सफदरजंग अस्पतालों में जागरूकता अभियान चलाया गया। डॉक्टरों ने मरीजों और उनके परिवारों को बीमारी के लक्षण, बचाव, उपचार और इसके संभावित खतरों के बारे में जानकारी दी।

डॉक्टरों का कहना है कि बदलते मौसम और प्रदूषण के कारण सीओपीडी की समस्या बढ़ रही है। यह बीमारी फेफड़ों की कार्यक्षमता को धीरे-धीरे कम कर देती है, जिससे सांस लेने में परेशानी होती है। यह समस्या ज्यादातर धूम्रपान करने वालों में पाई जाती है, लेकिन प्रदूषण, आनुवांशिक कारण और संक्रमण के कारण भी हो सकती है।

मुख्य समस्याएं

  • सांस फूलना
  • खांसी
  • छाती में जकड़न
  • अत्यधिक थकावट

क्या न करें? डॉक्टरों की सलाह

  • धूम्रपान से बचें।
  • प्रदूषित और धूल भरे क्षेत्रों में जाने से बचें।
  • सुबह और शाम के समय बाहर निकलने से बचें।

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