03 दिसंबर 2024, नई दिल्ली
सीबीएसई (CBSE) बोर्ड अपने सिलेबस में समय-समय पर बदलाव करता रहता है। कुछ साल पहले, 10वीं कक्षा के छात्रों को मैथ्स बेसिक और स्टैंडर्ड में से एक विकल्प चुनने की सुविधा दी गई थी। अब इसी प्रकार का विकल्प साइंस और सोशल साइंस विषयों के लिए भी लागू किया जाएगा। 2026-27 शैक्षणिक सत्र से कक्षा 9वीं और 10वीं के सिलेबस में यह बदलाव किया जाएगा।
दो स्तरों पर पढ़ाई का विकल्प
सीबीएसई की करिकुलम कमेटी की हाल ही में हुई बैठकों में साइंस और सोशल साइंस विषयों को स्टैंडर्ड और एडवांस्ड दो स्तरों पर पेश करने का प्रस्ताव रखा गया है। हालांकि, अंतिम निर्णय बोर्ड की गवर्निंग बॉडी लेगी, जो इस तरह के बड़े फैसलों के लिए अधिकृत है। इस बदलाव का उद्देश्य छात्रों को उनकी क्षमता और रुचि के अनुसार विषयों का चयन करने की आजादी देना है।
नए फ्रेमवर्क पर होगा फोकस
इस बदलाव के तहत दोनों विषयों के सिलेबस और परीक्षा प्रणाली में सुधार किया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि विषयों के दोनों स्तर (स्टैंडर्ड और एडवांस्ड) छात्रों की शैक्षणिक और व्यावहारिक जरूरतों को पूरा करें।
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एनसीईआरटी की नई किताबें तैयार
सीबीएसई बोर्ड फिलहाल नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) की नई किताबों का इंतजार कर रहा है। ये किताबें नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क के तहत तैयार की जा रही हैं। एनसीईआरटी पहले ही कक्षा 1, 2, 3 और 6 के लिए नई किताबें जारी कर चुका है। अब 2025 की शुरुआत में अन्य कक्षाओं की किताबें भी प्रकाशित होंगी, जो इस बदलाव के लिए आधार तैयार करेंगी।
पढ़ाई का प्रेशर होगा कम
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के अनुसार, सभी विषयों को दो स्तरों पर पेश करने की अनुमति है। इसी के तहत यह बदलाव छात्रों पर पढ़ाई का दबाव कम करने के लिए किया जा रहा है। छात्रों को अपनी क्षमता के अनुसार स्टैंडर्ड या एडवांस्ड लेवल का चयन करने का विकल्प मिलेगा। इससे कोचिंग पर निर्भरता भी कम होने की संभावना है।
निष्कर्ष
यह बदलाव सीबीएसई बोर्ड की शैक्षणिक प्रणाली में एक नई दिशा देगा। छात्रों को उनके सीखने के स्तर और रुचि के आधार पर विषय चुनने की स्वतंत्रता मिलेगी। यह न केवल पढ़ाई के दबाव को कम करेगा बल्कि छात्रों को शिक्षा में अधिक आत्मनिर्भर और संतुलित बनाएगा।
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