मीसा कानून: कांग्रेस के अतीत पर निर्मला का तीखा प्रहार, क्या खोले आपातकाल के गहरे राज़?

मीसा कानून: कांग्रेस के अतीत पर निर्मला का तीखा प्रहार, क्या खोले आपातकाल के गहरे राज़?

मीसा कानून और आपातकाल: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस पर साधा निशाना

17 दिसंबर 2024 , नई दिल्ली

भारतीय संविधान पर राज्यसभा में हुई चर्चा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस पर तीखे प्रहार किए। उन्होंने संविधान संशोधनों और आपातकाल के समय लिए गए फैसलों का जिक्र करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी पर निशाना साधा। निर्मला सीतारमण ने संविधान के पहले संशोधन को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटने वाला बताया और आपातकाल के दौरान लागू मीसा कानून पर भी विस्तार से चर्चा की।

सीतारमण ने आपातकाल के दौर की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय विपक्षी नेताओं, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल में डालने के लिए मीसा कानून का इस्तेमाल किया गया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि एक नेता ने उस दौर की याद में अपनी बेटी का नाम ‘मीसा’ रखा, और अब वही नेता कांग्रेस के साथ गठबंधन में हैं।

आपातकाल: लोकतंत्र पर 21 महीने का काला अध्याय


25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सलाह पर राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की थी। इंदिरा गांधी ने देश पर आंतरिक और बाहरी खतरों का हवाला देते हुए इसे लागू किया। यह आपातकाल 1975 से 1977 तक 21 महीने तक चला। इस दौरान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, नागरिक अधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों को बुरी तरह से कुचल दिया गया।

निर्मला सीतारमण ने बताया कि इस दौरान विपक्षी नेताओं और विचारकों को जेल में डालने के लिए “आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम” यानी मीसा कानून का दुरुपयोग हुआ। उन्होंने कहा कि मीसा कानून के तहत बिना वारंट किसी को भी गिरफ्तार किया जा सकता था, संपत्तियों की जब्ती की जा सकती थी, और फोन रिकॉर्डिंग की जा सकती थी।

लालू यादव और मीसा कानून का कनेक्शन


आपातकाल के समय आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव भी मीसा कानून के तहत जेल में बंद थे। 1976 में जब उनकी पहली बेटी का जन्म हुआ, तो उन्होंने उस समय की घटनाओं को याद रखते हुए उसका नाम ‘मीसा भारती’ रखा। लालू यादव ने इसे इंदिरा गांधी की ज्यादतियों के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध बताया था।

बाद में लालू यादव ने आपातकाल के उस दौर को लोकतंत्र पर सबसे काला अध्याय बताया। उन्होंने अपनी किताब ‘The Sangh Silence in 1975’ में लिखा कि 1975 का आपातकाल लोकतंत्र पर धब्बा था। वह जयप्रकाश नारायण की नेतृत्व वाली समिति के संयोजक थे और 15 महीने तक जेल में रहे।

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कांग्रेस सरकार पर प्रतिबंध और दमन के आरोप


सीतारमण ने सदन में चर्चा के दौरान यह भी कहा कि आपातकाल के समय कांग्रेस सरकार ने न केवल लोगों की स्वतंत्रता छीनी, बल्कि “किस्सा कुर्सी का” जैसी फिल्मों और कई पुस्तकों पर भी प्रतिबंध लगाया। उन्होंने गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी और अभिनेता बलराज साहनी जैसे दिग्गजों को जेल में डाले जाने का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर अभिव्यक्ति की आजादी को कुचलने का आरोप लगाया।

मीसा कानून: विवादित प्रावधान


मीसा कानून, जिसे 1971 में संसद में पारित किया गया था, आंतरिक सुरक्षा के लिए लाया गया था। लेकिन आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी ने इसका इस्तेमाल अपने राजनीतिक विरोधियों को दबाने के लिए किया। इस कानून के तहत सरकार को यह अधिकार था कि वह किसी भी व्यक्ति को अनिश्चितकाल के लिए बिना किसी मुकदमे के हिरासत में रख सके। 1977 में जनता पार्टी की सरकार आने के बाद इस कानून को खत्म कर दिया गया।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन


वित्त मंत्री ने संविधान के पहले संशोधन का उल्लेख करते हुए कहा कि 1951 में नेहरू सरकार ने संविधान संशोधन के जरिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया और कांग्रेस पर तीखा हमला बोला।

इस तरह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आपातकाल और मीसा कानून को लेकर कांग्रेस की नीतियों पर सवाल खड़े किए और इसे लोकतंत्र के लिए घातक बताया।

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