तेलंगाना: 8 महीने में 15 बार चूहे के काटने से लड़की को लकवा मारने का मामला, परिवार ने लगाए गंभीर आरोप

तेलंगाना: 8 महीने में 15 बार चूहे के काटने से लड़की को लकवा मारने का मामला, परिवार ने लगाए गंभीर आरोप

एक दसवीं कक्षा की छात्रा, लक्ष्मी भवानी कीर्ति, जो तेलंगाना के खम्मम जिले के दानवईगुडेम स्थित बीसी वेलफेयर हॉस्टल में रहती थी, को बार-बार चूहों के काटने की वजह से लकवा मार गया है। मार्च से नवंबर 2024 के बीच, उसे करीब 15 बार चूहों ने काटा। इसके बाद, लड़की के दाहिने हाथ और पैर में लकवे की समस्या हो गई। परिवार का कहना है कि चूहों के काटने के बाद हर बार उसे एंटी-रेबीज वैक्सीन दी गई, लेकिन यह समस्या फिर भी बढ़ती गई। हॉस्टल के अन्य छात्रों ने भी चूहों के काटने की शिकायत की है।

लक्ष्मी के परिवार के आरोप

परिवार का आरोप है कि बार-बार चूहों के काटने और लापरवाही के कारण लड़की की हालत इतनी खराब हुई। फिलहाल, लक्ष्मी का इलाज खम्मम के ममता जनरल अस्पताल में हो रहा है, जहां पूर्व मंत्री पुव्वाडा अजय कुमार उसकी देखरेख कर रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि उसकी हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है, लेकिन वह अभी भी गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से जूझ रही है।

सरकार पर उठे सवाल

इस घटना ने राज्य की कांग्रेस सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बीआरएस विधायक और पूर्व मंत्री टी. हरीश राव ने सोशल मीडिया पर इस घटना को “अमानवीय” करार देते हुए कहा कि “बार-बार रेबीज के टीके लगाए जाने से लड़की के पैर कमजोर हो गए हैं। यह हॉस्टल में छात्रों के प्रति लापरवाही का नतीजा है।” उन्होंने कहा कि ‘गुरुकुल बाटू’ जैसी योजनाओं के बाद सरकार ने इन छात्रावासों की स्थिति पर ध्यान देना ही छोड़ दिया है।

हरीश राव ने कांग्रेस सरकार की आलोचना करते हुए कहा, “जिन बच्चों को स्कूलों में शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए, वे सरकार की असावधानी के चलते अस्पताल के बिस्तरों पर हैं। यह बेहद चिंताजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है।”

क्या चूहे के काटने से लकवा संभव है?

यह सवाल भी उठता है कि क्या चूहे के शरीर में मौजूद किसी वायरस या बैक्टीरिया से लकवा जैसी स्थिति हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि चूहों के काटने से आमतौर पर रेबीज या अन्य संक्रमण का खतरा होता है, लेकिन लकवा जैसी समस्या दुर्लभ है। हालांकि, बार-बार काटने और संक्रमण से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है, जिससे गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्याएं हो सकती हैं। डॉक्टर इस पहलू पर भी शोध कर रहे हैं।

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