नई दिल्ली, 23 दिसंबर 2024
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह की जयंती पर आज पूरे देश ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। किसानों और ग्रामीण भारत के लिए उनके योगदान को याद करते हुए इस दिन को राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में मनाया गया।
प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर लिखा, “गरीबों और किसानों के सच्चे हितैषी पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न चौधरी चरण सिंह जी को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि। राष्ट्र के प्रति उनका समर्पण और सेवाभाव हर किसी को प्रेरित करता रहेगा।”
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने लिखा, “किसान ही हिंदुस्तान है, देश का अभिमान है। देश के किसानों के लिए संघर्षरत रहे भूतपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी की जयंती पर उन्हें सादर नमन। आशा है कि मोदी सरकार अपनी ज़िद और किसान-विरोधी नीतियों से किसानों के प्रति अन्याय न करे और अपने पुराने वादों पर अमल करे।”
कृषि और किसान कल्याण मंत्री ने भी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए लिखा, “कर्मठ एवं जुझारू जननेता, किसानों के मसीहा, पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी की जयंती पर कोटिशः नमन। राष्ट्र के उत्थान और किसानों के कल्याण के लिए समर्पित आपका जीवन हम सभी को प्रेरित करता रहेगा।”
चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को हुआ था। उन्होंने अपना पूरा जीवन किसानों और मजदूरों के उत्थान के लिए समर्पित किया। 1937 में छपरौली से विधायक बनने के साथ उनका राजनीतिक सफर शुरू हुआ। सहकारी खेती के मुद्दे पर उन्होंने पंडित नेहरू को चुनौती दी और 1967 में प्रदेश की पहली गैर-कांग्रेसी सरकार का नेतृत्व किया। 28 जुलाई 1979 को वे भारत के प्रधानमंत्री बने। हालांकि, उनका प्रधानमंत्री कार्यकाल छोटा रहा, लेकिन उनकी किसान हितैषी नीतियों ने उन्हें जनता के बीच अमर बना दिया।
राष्ट्रीय किसान दिवस की महत्ता
भारत का कृषि क्षेत्र, जो देश की लगभग आधी जनसंख्या को रोजगार प्रदान करता है, देश की अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न हिस्सा बना हुआ है और राष्ट्र निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह 2023-24 के वित्तीय वर्ष में सकल मूल्य वर्धित (GVA) में 17.7% का योगदान करता है। देश की 328.7 मिलियन हेक्टेयर भूमि में लगभग 54.8% कृषि भूमि के रूप में वर्गीकृत है और 2021-22 के भूमि उपयोग सांख्यिकी के अनुसार, फसल उत्पादन की तीव्रता 155.4% है। किसान इस आवश्यक क्षेत्र के आधार स्तंभ हैं। उनकी भूमिका केवल खेती तक सीमित नहीं है; वे ग्रामीण विकास और राष्ट्र निर्माण के शिल्पकार हैं, खाद्य सुरक्षा प्रदान करते हैं और लाखों लोगों की आजीविका को बनाए रखते हैं। उनके कठिन श्रम और नवाचार के माध्यम से वे एक मजबूत और समृद्ध भारत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।