चीन में फिर से फैल रहा है नया वायरस, जानें इसके लक्षण और इससे बचाव के उपाय

चीन में फिर से फैल रहा है नया वायरस, जानें इसके लक्षण और इससे बचाव के उपाय

बच्चों में बढ़ रहा वायरस का खतरा: ह्यूमन मेटाप्न्युमोवायरस से जुड़ी जरूरी जानकारी

03 जनवरी 2025, नई दिल्ली

पिछले कुछ सालों में कोरोना वायरस ने दुनियाभर में हलचल मचाई थी, और अब एक बार फिर से चीन में एक नया वायरस फैल रहा है, जिसे ह्यूमन मेटाप्न्युमोवायरस (Human Metapneumovirus) कहा जाता है। यह वायरस कोरोना के लक्षणों से मेल खाता है, जैसे खांसी, जुकाम और सांस लेने में परेशानी। ऐसे में, लोगों में एक बार फिर से चिंता का माहौल बन रहा है।

चीन सीडीसी के अनुसार, इस वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, और विशेष रूप से दो साल से कम उम्र के बच्चों में इसके अधिक मामले देखे जा रहे हैं। जिन लोगों को पहले से सांस संबंधी बीमारियां हैं, उनके लिए यह वायरस ज्यादा खतरनाक हो सकता है। वायरस की संक्रामकता को देखते हुए चीन का स्वास्थ्य विभाग अलर्ट है और वायरस की रोकथाम के लिए बड़े पैमाने पर टेस्टिंग की जा रही है।

ह्यूमन मेटाप्न्युमोवायरस क्या है?

महामारी विशेषज्ञ डॉ. जुगल किशोर के अनुसार, ह्यूमन मेटाप्न्युमोवायरस (एचएमपीवी) एक वायरल संक्रमण है, जो आमतौर पर सर्दी-जुकाम के जैसे लक्षण पैदा करता है। हालांकि, यह लंग्स पर असर डाल सकता है और कभी-कभी निमोनिया, अस्थमा, या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) जैसी बीमारियों के मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। यह वायरस बच्चों में ज्यादा पाया जाता है, और कुछ मामलों में यह वायरस बच्चों में होने वाले सामान्य आरएसवी इंफेक्शन की तरह खांसी-जुकाम और बुखार का कारण बनता है।

दुनियाभर में लगभग 10% से 12% बच्चों में सांस संबंधी बीमारियों का कारण HMPV है। हालांकि, ज्यादातर मामलों में लक्षण हल्के होते हैं, फिर भी 5% से 16% बच्चों में निमोनिया विकसित होने का खतरा रहता है, जो एक गंभीर स्थिति हो सकती है।

क्या चीन में फैल रहे वायरस से डरना चाहिए?

दिल्ली के जीटीबी हॉस्पिटल के मेडिसिन विभाग के डॉ. अजीत कुमार का कहना है कि ह्यूमन मेटाप्न्युमोवायरस कोई नई बीमारी नहीं है। यह वायरस दशकों पुराना है और 2001 में पहली बार इसकी पहचान की गई थी। यह वायरस सभी मौसमों में मौजूद रहता है और दुनियाभर के कुछ देशों में इसके मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। 5 साल से छोटे बच्चों में इसके संक्रमण के अधिक मामले होते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में लक्षण हल्के होते हैं। भारत में भी इस वायरस को लेकर पैनिक होने की जरूरत नहीं है।

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डॉ. कुमार के अनुसार, हालांकि वायरस की संक्रामकता दर अधिक है, लेकिन यह सामान्य तौर पर घातक नहीं है। अधिकांश बच्चों में सिर्फ सर्दी-खांसी के लक्षण होते हैं और केवल कुछ मामलों में यह गंभीर सांस की बीमारी या निमोनिया का कारण बनता है। फिलहाल, यह जरूरी है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) चीन में फैल रहे इस वायरस पर गंभीर ध्यान दे और अगर मामले बढ़ते हैं तो उचित दिशा-निर्देश जारी करे।

क्या ह्यूमन मेटाप्न्युमोवायरस का इलाज है?

इस वायरस का इलाज एंटीवायरल दवाओं से नहीं किया जा सकता है। उपचार लक्षणों के आधार पर किया जाता है। यदि बच्चा गंभीर रूप से बीमार हो, तो अस्पताल में भर्ती करना जरूरी हो सकता है। डॉक्टर ऑक्सीजन थेरेपी और लंग्स इंफेक्शन से बचाव वाली दवाओं से उपचार करते हैं। इस वायरस के लिए कोई एंटीबायोटिक दवा उपलब्ध नहीं है।

इस वायरस से बचाव के उपाय:

हाथों को धोना: अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन और पानी से धोएं, खासकर जब आप सार्वजनिक स्थानों पर हों।
खांसी और छींक के दौरान एहतियात बरतें: जब आप खांसें या छींकें, तो अपनी नाक और मुंह को टिशू से ढकें या अपनी कोहनी का इस्तेमाल करें।
भीड़-भाड़ से बचें: यदि आप या आपके बच्चे सर्दी-खांसी या अन्य संक्रामक बीमारियों से पीड़ित हैं, तो कोशिश करें कि आप अन्य लोगों से दूर रहें।
मास्क का इस्तेमाल: यदि आप बीमार हैं और दूसरों के पास रहना आवश्यक हो, तो मास्क पहनें ताकि वायरस को फैलने से रोका जा सके।
इस वायरस के फैलाव को ध्यान में रखते हुए सतर्कता बनाए रखना महत्वपूर्ण है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। समय पर चिकित्सा सलाह और उचित एहतियात से इस वायरस से बचाव किया जा सकता है।

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