बच्चों में सोशल मीडिया का बढ़ता प्रभाव: भारत ने अपनाया संतुलित दृष्टिकोण
06 जनवरी 2025, नई दिल्ली
आज के दौर में सोशल मीडिया का उपयोग हर उम्र के लोगों के जीवन का हिस्सा बन चुका है। बच्चे भी पढ़ाई और गेमिंग जैसी जरूरतों के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसी बढ़ते प्रभाव को देखते हुए, ऑस्ट्रेलिया ने पिछले महीने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया। इस फैसले ने सवाल उठाया कि क्या भारत भी इसी दिशा में कदम उठाएगा।
भारत का रुख: प्रतिबंध नहीं, जिम्मेदारी पर जोर
भारत सरकार ने बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की बजाय, डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण नियम (Digital Personal Data Protection Rules) के तहत एक वैकल्पिक तरीका अपनाया है। आईटी सचिव एस. कृष्णन ने स्पष्ट किया कि बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग के लिए “सत्यापन योग्य सहमति” (Verifiable Consent) पेरेंट्स से लेने का सुझाव दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय समाज की सोच और सहमति पर आधारित होगा।
सोशल मीडिया पर प्रतिबंध सही समाधान है?
एस. कृष्णन ने कहा कि भारत जैसे देश में जहां सोशल मीडिया का उपयोग शिक्षा और नई चीजें सीखने के लिए होता है, वहां पूर्ण प्रतिबंध उचित नहीं होगा। उन्होंने इसे एक “सामाजिक निर्णय” करार दिया, जिसमें व्यापक सहमति के आधार पर सरकार को आगे बढ़ना होगा।
क्या पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की योजना है?
सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के सवाल पर एस. कृष्णन ने कहा कि अब तक ऐसा कोई प्रस्ताव या योजना नहीं बनाई गई है। उन्होंने कहा कि सरकार का ध्यान इस बात पर है कि बच्चों को सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों से कैसे बचाया जाए। फिलहाल, बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर पूर्ण प्रतिबंध की चर्चा भी नहीं हुई है।
साइबर फ्रॉड और सुरक्षा उपाय
बढ़ते साइबर फ्रॉड पर चिंता व्यक्त करते हुए, एस. कृष्णन ने कहा कि सोशल मीडिया कंपनियों का अनुपालन (Compliance) बेहतर हो रहा है और गैरकानूनी सामग्री को अक्सर समस्या बनने से पहले ही हटा दिया जाता है। उन्होंने “साइबर अरेस्ट” जैसी गलतफहमियों को खारिज करते हुए इसे भारतीय कानून के खिलाफ बताया।
सरकार ने साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गृह मंत्रालय, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का कार्यालय, और i4C (इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर) जैसी एजेंसियों को भी सक्रिय किया है। पीएम मोदी ने भी इस मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
निष्कर्ष
भारत ने ऑस्ट्रेलिया की तरह सोशल मीडिया पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की बजाय, बच्चों की सुरक्षा और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है। यह सामाजिक और तकनीकी जरूरतों के बीच तालमेल बैठाने का प्रयास है, जिसमें बच्चों को डिजिटल खतरों से बचाने के साथ-साथ उनकी सीखने की जरूरतों का भी ख्याल रखा गया है।