महाकुंभ मेला 2025 में दुनिया भर से श्रद्धालु त्रिवेणी संगम पर गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम में डुबकी लगाने पहुंचे हैं। पहले दिन 60 लाख श्रद्धालुओं की भारी भीड़ इस आध्यात्मिक समागम में शामिल हुई। इस वर्ष, कुंभ मेले में न केवल भारत के श्रद्धालु, बल्कि 100 से अधिक देशों से भी श्रद्धालु हिस्सा ले रहे हैं।
कुंभ मेले में भारत के साथ-साथ अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण अफ्रीका और यूरोप के कई देशों से श्रद्धालु पहुंचे हैं। यह घटना धार्मिक एकता और वैश्विक श्रद्धा का प्रतीक बन गई है। पहले दिन ‘पौष पूर्णिमा’ पर शाही स्नान का खास उत्साह देखने को मिला, जहां श्रद्धालु ठंडी हवाओं के बावजूद संगम पर डुबकी लगाने पहुंचे।
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कुंभ का माहौल किसी त्योहार से कम नहीं है, जहां विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं के लोग एकसाथ नजर आते हैं। हर तरफ मंत्रोच्चार, भजन और फूलों की खुशबू ने इस मेले में चार चंद लगा दिए हैं। विदेशी श्रद्धालु भी धार्मिक अनुष्ठानों और सत्संग में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।
श्रद्धालुओं की भारी संख्या को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा और सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा है। करीब 30,000 पुलिसकर्मी तैनात हैं, और हर नुक्कड़ पर स्वास्थ्यकर्मी और स्वच्छता कर्मचारियों की टीम मौजूद है। प्रशासन ने अस्थायी अस्पताल, स्वच्छ पानी और यातायात के लिए बेहतरीन इंतजाम किए हैं।
महाकुंभ मेला 26 फरवरी 2025 तक चलेगा, और आगामी शाही स्नान की तिथियों पर और अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने की उम्मीद है। यह मेला न केवल भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एकता और आस्था का संदेश भी देता है।
महत्वपूर्ण तिथियां जैसे 14 जनवरी (मकर संक्रांति), 29 जनवरी (मौनी अमावस्या) और 3 फरवरी (बसंत पंचमी) पर लाखों श्रद्धालुओं के जुटने की उम्मीद है। इन दिनों को विशेष रूप से पवित्र माना जाता है, क्योंकि इनकी खगोलीय स्थिति इस वर्ष के महाकुंभ को और भी विशेष बनाती है।