135 साल की आर्थिक लूट: ब्रिटेन ने भारत को बनाया अपनी संपत्ति का केंद्र
20 जनवरी 2025, नई दिल्ली
भारत पर ब्रिटिश शासन के दौरान हुए आर्थिक शोषण की कहानियां कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन हाल ही में ऑक्सफैम इंटरनेशनल की रिपोर्ट ने जो आंकड़े सामने रखे हैं, वे हैरान कर देने वाले हैं। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि ब्रिटेन ने अपने औपनिवेशिक काल (1765 से 1900) के दौरान भारत से लगभग 65 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति लूटी। यह आंकड़ा इतना बड़ा है कि इससे मौजूदा समय की दुनिया की पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं—अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी और भारत—एक साथ खड़ी की जा सकती हैं।
135 साल की आर्थिक लूट का काला सच
ऑक्सफैम इंटरनेशनल के अनुसार, ब्रिटेन ने 1765 से 1900 के बीच भारत से 64.80 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की संपत्ति निकाली। रिपोर्ट बताती है कि इसमें से लगभग 33.80 ट्रिलियन डॉलर ब्रिटेन के सबसे अमीर 10% लोगों के पास पहुंच गए।
रिपोर्ट के मुताबिक, यह लूट आधुनिक समय के बहुराष्ट्रीय निगमों के उद्भव का मुख्य कारण बनी। आज भी वैश्विक असमानता, नस्लीय भेदभाव और दक्षिण से उत्तर की ओर धन के दोहन का सिलसिला उसी औपनिवेशिक मानसिकता की देन है।
कैसे की गई यह लूट?
1765 से 1900 के बीच ब्रिटेन ने भारत की प्राकृतिक और मानव संसाधनों का व्यापक दोहन किया। रिपोर्ट बताती है कि लूट का एक बड़ा हिस्सा ब्रिटेन के उभरते हुए मध्यम वर्ग और पूंजीपतियों के पास गया। यह आर्थिक शोषण जाति, धर्म, लिंग, भाषा और क्षेत्रीय विभाजनों को और गहराई तक ले गया, जिससे भारतीय समाज को लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा।
ऑक्सफैम ने यह भी बताया कि भारत में आज केवल 0.14% मातृभाषाएं शिक्षण माध्यम के रूप में प्रयोग की जाती हैं और मात्र 0.35% भाषाओं को स्कूलों में पढ़ाया जाता है। यह सांस्कृतिक शोषण की एक और कड़ी है, जो औपनिवेशिक काल के दौरान शुरू हुई थी।
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दुनिया की 5 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं बन सकती थीं
ऑक्सफैम की रिपोर्ट में बताया गया है कि ब्रिटेन ने जो धन भारत से लूटा, वह इतना ज्यादा है कि उससे आज दुनिया की पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं खड़ी हो सकती हैं। 2025 में अनुमानित वैश्विक जीडीपी के आंकड़े देखें तो:
अमेरिका: 30.33 ट्रिलियन डॉलर
चीन: 19.53 ट्रिलियन डॉलर
जर्मनी: 4.92 ट्रिलियन डॉलर
जापान: 4.40 ट्रिलियन डॉलर
भारत: 4.27 ट्रिलियन डॉलर
इन सभी की कुल जीडीपी लगभग 63.46 ट्रिलियन डॉलर है, जो ब्रिटेन द्वारा भारत से लूटी गई रकम से भी कम है।
आधुनिक असमानता की जड़ें
रिपोर्ट यह भी उजागर करती है कि ब्रिटेन के उपनिवेशवाद के चलते आज भी वैश्विक असमानता कायम है। यह शोषण और विभाजन नस्लवाद, आर्थिक भेदभाव और ग्लोबल साउथ की गरीबी में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं।
निष्कर्ष
1765 से 1900 के बीच ब्रिटेन ने भारत से जो धन निकाला, वह केवल आर्थिक शोषण नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक विनाश की भी मिसाल है। यह रिपोर्ट न केवल इतिहास के काले पन्नों को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि औपनिवेशिक मानसिकता का प्रभाव आज भी हमारे समाज और वैश्विक अर्थव्यवस्था में मौजूद है।
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