Digital Arrest : बेंगलुरु में एक बड़ा साइबर क्राइम का मामला सामने आया है। यहां एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर से करीब ₹12 करोड़ की धोखाधड़ी की गई। पुलिस ने इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
Digital Arrest : कैसे दिया ठगी को अंजाम : पुलिस जांच में पता चला कि आरोपी तरुण और करण ने खुद को ED और कस्टम अधिकारी बताकर सॉफ्टवेयर इंजीनियर विजयकुमार को अपने जाल में फंसाया। उन्होंने “डिजिटल अरेस्ट” के बहाने विजयकुमार से उनकी बैंक डिटेल्स हासिल कीं। आरोपियों ने दावा किया कि उनके खाते में मौजूद लगभग ₹12 करोड़ को जांच के लिए अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर करना होगा।
पूरा मामला क्या है?
पुलिस के अनुसार, आरोपियों को यह जानकारी थी कि विजयकुमार ने शेयर मार्केट में निवेश किया था, जिससे उनके खाते में बड़ी रकम जमा थी। ठगों ने उन्हें फोन पर यह बताया कि उनका नंबर और आधार कार्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में शामिल पाया गया है। डराकर, उन्होंने विजयकुमार से अलग-अलग खातों में पैसे ट्रांसफर करवा लिए।
कैसे हुई ठगी?
ठगों ने 11 नवंबर को TRAI का अधिकारी बनकर कॉल किया और उनके फोन नंबर के दुरुपयोग का बहाना बनाया। इसके बाद, ED और कस्टम अधिकारी बनकर, उन्हें दो मोबाइल ऐप और स्काइप डाउनलोड करने के लिए कहा गया। वीडियो कॉल पर धमकियां देते हुए उन्हें डराया गया कि केस सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है और उनके परिवार को भी जेल भेजा जा सकता है।
इंजीनियर की घबराहट का फायदा उठाया
डरे हुए विजयकुमार ने ठगों की बात मानकर 11 नवंबर से 12 दिसंबर के बीच कई बार पैसों का ट्रांसफर किया। उन्होंने ICICI बैंक, UCO बैंक और अन्य बैंक खातों में क्रमशः ₹75 लाख, ₹3.14 करोड़, ₹97 लाख, ₹25 लाख, ₹1 करोड़, ₹56 लाख, ₹96 लाख और ₹2 लाख तक भेजे।
पुलिस ने जांच तेज की
जब 12 दिसंबर को पैसे वापस नहीं आए और ठगों के फोन बंद हो गए, तब विजयकुमार को ठगी का एहसास हुआ। उन्होंने तुरंत साइबर, इकोनॉमिक और नारकोटिक्स (CEN) ब्रांच में शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस अब आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रही है और इस मामले की गहराई से जांच जारी है।
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