भारत में क्रिप्टो नीति : वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे रहने के लिए सुधार अनिवार्य

भारत में क्रिप्टो नीति : वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे रहने के लिए सुधार अनिवार्य

वेब3 और क्रिप्टो टेक्नोलॉजी तेज़ी से विकसित हो रही हैं, और भारत के पास इस क्षेत्र में आगे बढ़ने का सुनहरा मौका है। हालांकि, G20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी और वैश्विक क्रिप्टो नियमन पर चर्चाओं का हिस्सा बनने के बावजूद, भारत की वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) और वेब3 पर नीति अभी तक स्पष्ट नहीं है। दूसरी ओर, कई G20 देश इस दिशा में ठोस कदम उठा चुके हैं। भारत के पास तकनीकी रूप से दक्ष युवा आबादी और मजबूत फिनटेक उद्योग होने के बावजूद, स्पष्ट नियमों के अभाव में यह उभरती डिजिटल अर्थव्यवस्था में पिछड़ सकता है। इसलिए, देश को जल्द से जल्द एक सुव्यवस्थित नीति अपनाने की जरूरत है, जिससे निवेश, रोजगार और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

दुनिया आगे बढ़ रही, भारत पीछे छूट रहा

जब भारत नीतिगत निर्णय लेने में देरी कर रहा है, तब अन्य देश क्रिप्टो को अपनाने में आगे निकल रहे हैं। ब्राजील ने अपनी वित्तीय प्रणाली में ब्लॉकचेन को शामिल कर लिया है, अर्जेंटीना ने क्रिप्टो टैक्स में सुधार किया है, और यूरोपीय संघ पहले ही अपनी नियामक नीति लागू कर चुका है। अमेरिका और ब्रिटेन भी अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप दे रहे हैं, जबकि दक्षिण कोरिया और जापान ने क्रिप्टो के लिए सुरक्षा और नियमन पहले ही लागू कर दिए हैं। सिंगापुर, हांगकांग और यूएई जैसे छोटे देश भी तेजी से इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं और वेब3 इनोवेशन के प्रमुख केंद्र बन चुके हैं।

भारत के लिए क्रिप्टो में संभावनाएँ, लेकिन बाधाएँ भी

भारत क्रिप्टो को अपनाने वाले अग्रणी देशों में से एक है, और यदि सही नीतियां बनाई जाएं, तो 2030 तक इस उद्योग का आकार $241 मिलियन तक पहुंच सकता है। लेकिन जटिल कर प्रणाली और सख्त नियमों के कारण कई ट्रेडर्स और कंपनियां भारत छोड़कर विदेशों में व्यापार कर रही हैं। उदाहरण के लिए, क्रिप्टो लेनदेन पर 1% TDS लागू होने से घरेलू ट्रेडिंग प्रभावित हुई है, और निवेशक विदेशी प्लेटफॉर्म्स का रुख कर रहे हैं। भारत सरकार ने G20 सम्मेलन पर ₹4,100 करोड़ खर्च किए, लेकिन यदि क्रिप्टो के लिए उचित नियम नहीं बनाए गए, तो यह निवेश व्यर्थ साबित हो सकता है।

सख्त प्रतिबंध नहीं, समझदारी से बनाएँ नियमन

भारत को क्रिप्टो पर प्रतिबंध लगाने के बजाय एक संतुलित और समझदारी भरी नीति लागू करने की आवश्यकता है। इस नीति का उद्देश्य निवेशकों को धोखाधड़ी से बचाना, नवाचार को बढ़ावा देना, पूंजी पलायन रोकना, और क्रिप्टो को कानूनी दायरे में लाकर वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना होना चाहिए। दुनियाभर में वित्तीय कंपनियां क्रिप्टो एक्सचेंज-ट्रेडेड उत्पाद (ETPs) लॉन्च कर रही हैं, जो दर्शाता है कि क्रिप्टो मुख्यधारा का हिस्सा बनने की ओर बढ़ रहा है। भारत को भी जल्द से जल्द अपने नियामक ढांचे को मजबूत करना होगा, ताकि एक सुरक्षित, विनियमित और विकसित डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया जा सके।

सही नीति, सही दिशा

भारत का क्रिप्टो सेक्टर विकास के लिए तैयार है, बस इसे एक स्पष्ट और समझदारी से बनाई गई नीति की जरूरत है। सही समय पर लिया गया निर्णय भारत को इस क्षेत्र में नेतृत्वकारी स्थान दिला सकता है और उसे वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर प्रदान करेगा।

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