श्रद्धालुओं की उमड़ी भारी भीड़, अव्यवस्था के कारण संगम नगरी में मची अफरातफरी
29 जनवरी 2025
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 में मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर करोड़ों श्रद्धालु अमृत स्नान के लिए संगम तट पर पहुंचे। इस साल का यह स्नान विशेष माना जा रहा है क्योंकि 144 साल बाद दुर्लभ त्रिवेणी योग का संयोग बना है। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ और आध्यात्मिक उत्साह के बीच अचानक एक अफरातफरी मच गई, जिससे कई लोग घायल हो गए। शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार, भगदड़ में 20 से अधिक लोगों की मौत की आशंका जताई जा रही है, जबकि कई श्रद्धालु अब भी लापता बताए जा रहे हैं।
कैसे मची भगदड़?
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, रात के समय जब अमृत स्नान के बाद श्रद्धालु बाहर निकलने लगे, तो भीड़ बेकाबू हो गई। निकासी मार्ग संकरा और अव्यवस्थित था, जिससे लोगों को बाहर निकलने में परेशानी हुई। इसी दौरान कुछ श्रद्धालु लोहे के कूड़ेदान से टकरा गए और गिर पड़े, जिससे उनके पीछे आ रहे लोग भी गिरते चले गए। देखते ही देखते अफरातफरी का माहौल बन गया और भगदड़ मच गई।
कुछ श्रद्धालुओं का कहना है कि भीड़ इतनी ज्यादा थी कि कई महिलाओं को दम घुटने की समस्या होने लगी। जब महिलाएं गिरने लगीं, तो लोग उन्हें बचाने के बजाय खुद को बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। इस बीच बैरिकेडिंग भी टूट गई, जिससे भगदड़ और गंभीर हो गई।
प्रत्यक्षदर्शियों ने सुनाई आपबीती
गुजरात से आए तीर्थयात्री विवेक मिश्रा ने बताया, “मैं भी उसी जगह मौजूद था, जहां भगदड़ मची। स्नान के बाद हमें समझ नहीं आ रहा था कि बाहर कैसे निकलें। लोहे के कूड़ेदान रास्ते में रखे थे, जो लोगों को नजर नहीं आए और वे गिरते चले गए। मैं खुद भी गिरा और मेरे माता-पिता को भी चोटें आईं।”
बिहार के नालंदा से आए एक श्रद्धालु ने कहा, “हम 50-60 लोग साथ आए थे, लेकिन भगदड़ में सब अलग-अलग हो गए। प्रशासन की व्यवस्था कमजोर थी, इसलिए हालात बेकाबू हो गए।”
बलिया के एक श्रद्धालु ने बताया, “हम 14 लोग साथ आए थे, लेकिन भगदड़ में एक-दूसरे से बिछड़ गए। कोई कहां गिरा, कुछ पता ही नहीं चला।”
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एक अन्य श्रद्धालु ने कहा, “हम चार लोग साथ थे, लेकिन अचानक रास्ता जाम हो गया और भगदड़ मच गई। हमारे कुछ साथी पहले ही बाहर निकल चुके थे, लेकिन हम पीछे फंस गए।”
प्रशासन की लापरवाही आई सामने
घटना के बाद सवाल उठ रहे हैं कि प्रशासन की व्यवस्था इतनी कमजोर क्यों थी? एक चश्मदीद ने कहा, “संगम जाने और वहां से लौटने का एक ही रास्ता था। यही कारण था कि लोग एक-दूसरे को धक्का देने लगे और भगदड़ की स्थिति बनी।”
कुछ लोगों का आरोप है कि पुलिस बल बैरिकेडिंग छोड़कर पीछे हट गया, जिससे हालात और बिगड़ गए। भगदड़ के बाद एंबुलेंस घायलों को अस्पताल पहुंचाने में जुटी रही। एक एंबुलेंस चालक ने बताया कि वह 20 से अधिक चक्कर लगाकर 35 से ज्यादा लोगों को अस्पताल पहुंचा चुका है।
लोगों का सामान हुआ गायब, अपनों की तलाश जारी
घटनास्थल पर चारों ओर जूते-चप्पल, बैग और अन्य सामान बिखरा पड़ा था। कई लोगों का मोबाइल टूट गया, तो कुछ का कीमती सामान खो गया। श्रद्धालु अपने बिछड़े हुए परिजनों को ढूंढ रहे हैं और इस भयावह अनुभव से सदमे में हैं।
अब क्या कर रहा है प्रशासन?
प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया है और भीड़ नियंत्रण के लिए नए उपाय किए जा रहे हैं। घायलों का इलाज विभिन्न अस्पतालों में जारी है।
इस हादसे ने महाकुंभ की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। श्रद्धालु जहां एक तरफ आस्था में डूबे हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ इस तरह की अव्यवस्थाओं से उनकी जान पर खतरा मंडरा रहा है। प्रशासन को अब और अधिक सतर्क रहने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सके।
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