महाकुंभ की घटनाओं में एक तरफ इंसानियत, दूसरी तरफ हिंसा: समाज की असली परीक्षा

महाकुंभ की घटनाओं में एक तरफ इंसानियत, दूसरी तरफ हिंसा: समाज की असली परीक्षा

महाकुंभ में मस्जिदें बनीं इंसानियत की मिसाल

01 फ़रवरी 2025 , नई दिल्ली

प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के दौरान एक दर्दनाक भगदड़ की घटना घटी, जिसने हजारों श्रद्धालुओं को परेशानी में डाल दिया। इस संकट की घड़ी में मुस्लिम समुदाय ने न केवल अपने दिल के दरवाजे खोले, बल्कि मस्जिदों के द्वार भी श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए। मस्जिदों को आश्रय स्थल में बदलकर न सिर्फ ठहरने की जगह दी गई, बल्कि भोजन और चिकित्सा सहायता भी प्रदान की गई। यह पहल इस बात का प्रतीक है कि जब बात इंसानियत की आती है, तो धर्म की दीवारें गिर जाती हैं।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरें और वीडियो इस बात का सबूत हैं कि मानवता अभी भी जिंदा है। मुस्लिम समुदाय के इस कदम ने साबित कर दिया कि धार्मिक सीमाओं से ऊपर उठकर हम सभी एक इंसान के रूप में एक-दूसरे की मदद कर सकते हैं। यह घटना हमारे समाज में भाईचारे और सहिष्णुता की भावना को और मजबूत करती है।

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इंसानियत को शर्मसार करती घटनाएँ

जहाँ एक ओर महाकुंभ में भाईचारे की मिसालें देखने को मिलीं, वहीं कुछ घटनाओं ने इंसानियत को शर्मसार भी किया। भगदड़ के दौरान कुछ लोगों की क्रूरता और हिंसा की क्लिप्स सामने आईं, जिसमें एक-दूसरे की मदद करने की बजाय नफरत और हिंसा का प्रदर्शन हुआ। यह दृश्य हमारे समाज की संवेदनहीनता को उजागर करते हैं और हमें सोचने पर मजबूर करते हैं कि हम किस दिशा में जा रहे हैं।

इन घटनाओं ने हमारी साझा मानवीयता को गहरा आघात पहुँचाया है। यह याद दिलाने के लिए काफी है कि मानवता का सच्चा सार करुणा और सहानुभूति में निहित है, न कि हिंसा और घृणा में। समाज के हर सदस्य को ऐसी घटनाओं की कड़ी निंदा करनी चाहिए और एकजुट होकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न दोहराई जाएं।

इंसानियत की जीत


महाकुंभ की ये दोनों घटनाएँ हमें यह सिखाती हैं कि समाज में अच्छाई और बुराई दोनों का अस्तित्व है, लेकिन हमारा कर्तव्य है कि हम अच्छाई को बढ़ावा दें और बुराई का विरोध करें। मस्जिदों द्वारा दी गई सहायता ने यह साबित कर दिया कि धर्म से ऊपर मानवता होती है। वहीं, हिंसा और नफरत की घटनाएँ हमें चेतावनी देती हैं कि अगर हम सचेत नहीं हुए, तो समाज में विघटन की भावना गहरी हो सकती है।

आइए, महाकुंभ से मिली इन शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाएं और मानवता, सहानुभूति और भाईचारे की भावना को प्राथमिकता दें। जब हम एक-दूसरे की मदद के लिए आगे बढ़ते हैं, तभी हम अपने समाज को एक बेहतर दिशा में ले जा सकते हैं।

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