महामंडलेश्वर की पदवी को लेकर ममता कुलकर्णी पर बढ़ा विवाद, संतों के विरोध पर दिया करारा जवाब

महामंडलेश्वर की पदवी को लेकर ममता कुलकर्णी पर बढ़ा विवाद, संतों के विरोध पर दिया करारा जवाब

महामंडलेश्वर पदवी विवाद: ममता कुलकर्णी के दावों पर उठे सवाल

03 फ़रवरी 2025 , नई दिल्ली

बॉलीवुड अभिनेत्री से साध्वी बनीं ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की उपाधि देने और फिर उसे वापस लेने को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। पहले उन्हें जूना अखाड़े से जुड़े किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया गया, लेकिन इस फैसले का कई संतों ने विरोध किया। विरोध जताने वालों में बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री और बाबा रामदेव भी शामिल रहे। इस पूरे विवाद पर ममता कुलकर्णी ने खुलकर जवाब दिया और बताया कि वह साध्वी बनने के लिए 23 साल तक कठिन तपस्या कर चुकी हैं। हालांकि, उनके इस आध्यात्मिक सफर को लेकर अलग-अलग वजहें सामने आ रही हैं, जिससे विरोधाभास पैदा हो गया है।

‘आप की अदालत’ में ममता ने खोले कई राज


हाल ही में ममता कुलकर्णी इंडिया टीवी के शो ‘आप की अदालत’ में नजर आईं, जहां उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन, फिल्मी करियर और आध्यात्मिक यात्रा के बारे में विस्तार से बात की। उन्होंने बताया कि वह 23 साल तक भारत क्यों नहीं आईं और साध्वी बनने का निर्णय क्यों लिया।

ममता ने कहा, “मैंने संकल्प लिया था कि जब तक मेरे ऊपर लगे सभी आरोप कोर्ट से खारिज नहीं हो जाते, तब तक मैं भारत की धरती पर कदम नहीं रखूंगी।”

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उन्होंने यह भी दावा किया कि ड्रग केस में उन्हें झूठा फंसाया गया और इसके पीछे किसी अधिकारी का निजी स्वार्थ था। ममता ने आरोप लगाया,
“आप सब जानते हैं कि किस अधिकारी ने मेरा नाम घसीटा था। उसे मुंबई का पुलिस कमिश्नर बनना था, इसलिए उसने मुझे इस केस में लपेट दिया।”

मां के निधन ने बदल दी जिंदगी


ममता कुलकर्णी ने यह भी बताया कि 2001 में उनकी मां का निधन हो गया था, जिससे वह बुरी तरह टूट गई थीं। इस गहरे दुःख ने उन्हें आध्यात्म की ओर मोड़ दिया और उन्होंने बॉलीवुड से दूरी बना ली।

उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने मेरे खिलाफ चल रहा केस खारिज कर दिया। लेकिन जब तक केस खत्म नहीं हुआ, मैंने भारत में कदम नहीं रखा।”

गुरु गगन गिरी महाराज से मिली प्रेरणा


ममता कुलकर्णी ने अपने इंटरव्यू में बताया था कि साल 1996 में उनकी रुचि आध्यात्म की ओर बढ़ी। इसी दौरान उनकी मुलाकात गुरु गगन गिरी महाराज से हुई, जिन्होंने उन्हें इस मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। इसके बाद ममता ने साल 2000 से 2012 तक कठोर तपस्या की और अपने जीवन को पूरी तरह से अध्यात्म के लिए समर्पित कर दिया।

क्या विवाद थमेगा?


महामंडलेश्वर की उपाधि दिए जाने और वापस लेने के फैसले ने संत समाज में बड़ी बहस छेड़ दी है। ममता कुलकर्णी अपने बचाव में लगातार तर्क दे रही हैं, लेकिन उनके अलग-अलग बयानों से विवाद और गहराता जा रहा है। अब देखना यह होगा कि संत समाज इस पर क्या अंतिम निर्णय लेता है और ममता की आध्यात्मिक यात्रा आगे क्या मोड़ लेती है।

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