IIT कानपुर ने विकसित की सिंथेटिक हड्डी, जो हड्डी के कैंसर और इंफेक्शन के इलाज में करेगी मदद

IIT कानपुर ने विकसित की सिंथेटिक हड्डी, जो हड्डी के कैंसर और इंफेक्शन के इलाज में करेगी मदद

IIT कानपुर के छात्रों ने अपने प्रयोगशाला में सिंथेटिक हड्डी का निर्माण किया है। यह नवाचार कैंसर के उपचार से लेकर हड्डियों से संबंधित संक्रमणों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करेगा।

IIT कानपुर के वैज्ञानिकों ने टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने के लिए एक नई तकनीक विकसित की है, जो हड्डी के इलाज के क्षेत्र में एक बड़ा कदम हो सकती है। यह तकनीक, प्रोफेसर अशोक कुमार और उनके बायोसाइंसेज और बायोइंजीनियरिंग विभाग की टीम द्वारा तैयार की गई, में दो केमिकल पेस्ट को मिलाकर हड्डी में इंजेक्ट किया जाता है। यह मिश्रण हड्डी की तरह काम करता है और उसे मजबूत करने में मदद करता है।

कैसे काम करेगी यह सिंथेटिक बोन?

इस तकनीक को बुधवार को एक निजी कंपनी को सौंप दिया गया है, और इस पर आधिकारिक कॉन्ट्रैक्ट भी साइन किए गए हैं। प्रोफेसर कुमार के अनुसार, इंजेक्ट किए जाने के बाद केवल 15 मिनट में यह माइक्रो पोरस जेल सख्त हो जाता है। खास बात यह है कि यह मिश्रण शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति और रक्त संचार को प्रभावित नहीं करता, जिससे शरीर की प्राकृतिक ऊतक निर्माण और हीलिंग प्रक्रिया में कोई रुकावट नहीं आती।

कैंसर, टीबी और हड्डी की गंभीर बीमारियों में मिलेगी राहत

प्रोफेसर कुमार ने बताया कि हड्डी के कैंसर या टीबी जैसे मामलों में डॉक्टरों के पास आमतौर पर प्रभावित अंग को काटने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता, क्योंकि हड्डी का दोबारा उगना मुश्किल होता है। ऐसे में गंभीर दुर्घटनाओं में हड्डी की मरम्मत के लिए अंग काटने की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा, जांघ या शरीर के अन्य हिस्सों से हड्डी निकालकर प्रत्यारोपण करने में संक्रमण और अन्य जटिलताओं का जोखिम भी रहता है।

आईआईटी कानपुर की यह नई सिंथेटिक बोन तकनीक हड्डी के कैंसर, टीबी और गंभीर चोटों के मामलों में एक नई उम्मीद लेकर आ सकती है। यह मरीजों को बिना बड़ी सर्जरी के बेहतर इलाज प्रदान कर सकती है, और उनकी हड्डियों को पहले जैसा मजबूत बना सकती है।

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