विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने घोषणा की है कि चंद्रयान मिशन 4 को 2027 में लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की चट्टानों के नमूने पृथ्वी पर लाना है।
06 फरवरी 2025
भारत ने चंद्रयान-4 मिशन के लिए अपने प्रक्षेपण की तैयारियां पूरी कर ली हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने यह जानकारी दी है कि यह मिशन 2027 में लॉन्च किया जाएगा। इस अभियान का उद्देश्य चंद्रमा की चट्टानों के नमूने एकत्रित करना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर लाना है।
मंत्री जी ने इस बात पर जोर दिया कि मिशन के लिए उच्च क्षमता वाले एलवीएम 3 रॉकेट का इस्तेमाल किया जाएगा, जो दो अलग-अलग प्रक्षेपणों के माध्यम से पांच घटकों को कक्षा में स्थापित करेगा। इन सभी घटकों को पहले पृथ्वी की कक्षा में एकत्र किया जाएगा।
उन्होंने आगे कहा कि चंद्रयान-4 का प्रमुख लक्ष्य चंद्रमा की सतह से नमूने इकट्ठा करना और उन्हें सुरक्षित रूप से वापस लाना है। इसके अतिरिक्त, अगले साल गगनयान मिशन भी लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को विशेष यान द्वारा पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजा जाएगा।
बुनियादी ढांचे के विकास का विस्तार
मंत्री जी ने उल्लेख किया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्थापना 1969 में हुई, हालांकि पहले लॉन्च पैड का निर्माण 1993 में संपन्न हुआ। इसके पश्चात, दूसरे लॉन्च पैड का निर्माण 2004 में किया गया, जोकि एक दशक की अवधि के बाद संभव हुआ। पिछले दस वर्षों में, भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में बुनियादी ढांचे और निवेश के मामलों में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। वर्तमान में, हम भारी रॉकेटों के लिए तीसरे प्रक्षेपण स्थल का निर्माण कर रहे हैं। साथ ही, छोटे उपग्रहों के लिए एक नवीन प्रक्षेपण स्थल तमिलनाडु के तूतीकोरिन जिले में स्थापित किया जा रहा है, और श्रीहरिकोटा के मौजूदा प्रक्षेपण स्थल का विकास भी किया जा रहा है।
अगले दशक में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था की संभावनाएं
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत की वर्तमान अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का मूल्य लगभग 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जो अगले दशक में 44 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। यह विकास भारत को वैश्विक अंतरिक्ष क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभरने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगा।