नई दिल्ली, 28 फरवरी 2025 –
MERI सेंटर फॉर इंटरनेशनल स्टडीज (CIS) द्वारा MERI संवाद 5.0 का आयोजन नई दिल्ली में ‘भारत-पूर्व एशिया: चुनौतियाँ और अवसर’ विषय पर किया गया। इस कार्यक्रम में भारत, जापान और कोरिया गणराज्य के विशेषज्ञों, राजनयिकों और शिक्षाविदों ने भाग लिया और आपसी सहयोग को और अधिक सशक्त बनाने पर विचार-विमर्श किया।
इस संवाद में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), जामिया मिलिया इस्लामिया और भारतीय वैश्विक मामलों की परिषद (ICWA) के 30 से अधिक विद्वानों ने भाग लिया। जापान, कोरिया गणराज्य और कज़ाख़स्तान के राजनयिकों के साथ-साथ भारत सरकार के पूर्व राजनयिकों और अन्य ट्रैक-II संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भी चर्चा में योगदान दिया। MERI संवाद 5.0 का उद्देश्य भारत और पूर्व एशियाई देशों के बीच आर्थिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक संबंधों को और अधिक गहरा करना था।
इस सम्मेलन में भारत की उभरती वैश्विक भूमिका, बदलते भू-राजनीतिक समीकरण और आर्थिक साझेदारी के नए अवसरों पर चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने भारत और पूर्व एशियाई देशों—विशेष रूप से चीन, जापान और कोरिया गणराज्य के साथ व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के तरीकों पर विचार किया। साथ ही रीजनल कॉम्प्रिहेन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) जैसे वैश्विक व्यापार समझौतों में भारत की भागीदारी पर भी चर्चा हुई।
कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक दीप प्रज्वलन और राष्ट्रगान के साथ हुई। MERI ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशन्स के उपाध्यक्ष प्रो. ललित अग्रवाल ने अपने स्वागत भाषण में भारत की विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेजी से बढ़ती भूमिका पर प्रकाश डाला।
त्रिवेणी एजुकेशनल एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष श्री आई. पी. अग्रवाल ने उद्घाटन भाषण में भारत की आर्थिक और राजनयिक नीतियों के महत्व पर जोर दिया और पूर्व एशिया के साथ सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।
वरिष्ठ राजनयिक राजदूत अशोक कुमार शर्मा (पूर्व भारतीय राजदूत, फिनलैंड और कज़ाख़स्तान) और राजदूत स्कंद आर. टायल (पूर्व भारतीय राजदूत, कोरिया गणराज्य और उज्बेकिस्तान) ने भारत और पूर्व एशिया के बीच कूटनीतिक संवाद को मजबूत करने और रणनीतिक साझेदारियों के विस्तार की आवश्यकता पर जोर दिया।
सम्मेलन में बैंकिंग, बीमा, कृषि, सूचना प्रौद्योगिकी और फार्मास्युटिकल उद्योगों में संभावित साझेदारियों पर गहन चर्चा हुई। भारत की व्यापार नीतियों और पूर्व एशिया के साथ जुड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में अधिक भागीदारी की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया। इसके अलावा, शैक्षिक सहयोग, विज्ञान एवं तकनीकी नवाचार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के तरीकों पर चर्चा की गई। सुरक्षा के मुद्दों पर विशेष रूप से भारत के जापान, दक्षिण कोरिया और चीन के साथ बदलते संबंधों का विश्लेषण किया गया।
प्रख्यात विशेषज्ञ प्रो. एम. बदरुल आलम (पूर्व प्रमुख, राजनीति विज्ञान विभाग, जामिया मिलिया इस्लामिया), प्रो. श्रीकांत कोंडापल्ली और प्रो. जितेंद्र उत्तम ने भारत की रणनीतिक प्राथमिकताओं और क्षेत्रीय सुरक्षा पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
MERI संवाद 5.0 ने भारत और पूर्व एशिया के बीच कूटनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा देने का मार्ग प्रशस्त किया। इस चर्चा से आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक सहयोग को लेकर एक स्पष्ट योजना सामने आई, जिससे भारत अपने ऐतिहासिक संबंधों और रणनीतिक स्थिति का लाभ उठाकर पूर्व एशियाई देशों के साथ और अधिक मजबूत साझेदारियाँ स्थापित कर सके।