भारत-मध्य एशिया संबंधों को मजबूत करने पर कश्मीर सम्मेलन में हुई चर्चा

भारत-मध्य एशिया संबंधों को मजबूत करने पर कश्मीर सम्मेलन में हुई चर्चा

कश्मीर विश्वविद्यालय में हाल ही में एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें भारत और मध्य एशिया के बीच रणनीतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की गई। इस अवसर पर नई दिल्ली स्थित एमईआरआई सेंटर फॉर इंटरनेशनल स्टडीज के प्रमुख और इंडिया सेंट्रल एशिया फाउंडेशन के निदेशक प्रो. (डॉ.) रमाकांत द्विवेदी ने अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने “भारत के रणनीतिक हित मध्य एशिया में: चुनौतियां और अवसर” विषय पर भाषण दिया।

विशेषज्ञों और विद्वानों की भागीदारी

इस सम्मेलन में भारत के प्रमुख विश्वविद्यालयों जैसे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, पांडिचेरी विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया के विद्वानों ने भाग लिया। साथ ही, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और इटली से भी विशेषज्ञ शामिल हुए। इस दौरान ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक बदलावों पर गहन चर्चा की गई।

ऐतिहासिक संबंधों पर जोर

प्रो. द्विवेदी ने बताया कि भारत और मध्य एशिया के बीच संबंध ऐतिहासिक रूप से काफी गहरे रहे हैं और आज भी दोनों क्षेत्रों के लिए एक-दूसरे का सहयोग बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि मध्य एशियाई देश भारत के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत करना चाहते हैं।

भारत की “कनेक्ट सेंट्रल एशिया” नीति

प्रो. द्विवेदी ने भारत की “कनेक्ट सेंट्रल एशिया” नीति पर प्रकाश डाला, जो व्यापार, बुनियादी ढांचे और ऊर्जा सहयोग को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि इन संभावनाओं का पूरा लाभ उठाने के लिए दोनों पक्षों को और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।

सुरक्षा और आतंकवाद पर चर्चा

केवल आर्थिक अवसर ही नहीं, बल्कि सम्मेलन में धार्मिक कट्टरता और आतंकवाद जैसी चुनौतियों पर भी ध्यान दिया गया। प्रो. द्विवेदी ने बताया कि भारत मध्य एशियाई देशों के साथ मिलकर अफगानिस्तान में अस्थिरता और आतंकवाद से निपटने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।

चाबहार बंदरगाह की भूमिका

उन्होंने ईरान के चाबहार बंदरगाह के महत्व को भी रेखांकित किया, जिससे भारत और मध्य एशिया के बीच की दूरी 1,500 किलोमीटर तक कम हो सकती है। इससे व्यापार और आपसी संपर्क को और अधिक गति मिलेगी।

सम्मेलन का समापन

कश्मीर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. निलोफर खान ने प्रो. द्विवेदी को उनके मूल्यवान विचारों के लिए धन्यवाद दिया और उन्हें सम्मानित किया। इस सम्मेलन में 100 से अधिक शोधकर्ताओं ने भाग लिया और भारत-मध्य एशिया के बीच सहयोग को और मजबूत करने पर अपने विचार रखे।

यह सम्मेलन दोनों क्षेत्रों के बीच मित्रता और सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। इसमें इस बात पर जोर दिया गया कि भारत और मध्य एशिया को मिलकर काम करना चाहिए ताकि उनके आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध और अधिक सुदृढ़ हो सकें।

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