महिला दिवस की शुरुआत और भारत में इसका महत्व
हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं के अधिकारों, उनके योगदान और समाज में उनकी समान भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है। हालाँकि, महिला दिवस की शुरुआत 1909 में अमेरिका में हुई थी, लेकिन इसे आधिकारिक रूप से 1911 में यूरोप में मनाया गया। 1977 में संयुक्त राष्ट्र (UN) ने इसे एक आधिकारिक दिवस घोषित किया। भारत में भी महिला सशक्तिकरण को लेकर इस दिन को विशेष महत्व दिया जाता है।
भारत में महिला दिवस को मनाने की परंपरा स्वतंत्रता संग्राम के दौर से ही शुरू हो गई थी। भारतीय महिलाओं ने स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और आजादी के बाद भी उन्होंने राजनीति, विज्ञान, खेल, कला, साहित्य और समाज सुधार के क्षेत्र में खुद को साबित किया।
भारत में महिलाओं की ऐतिहासिक भूमिका
भारत में प्राचीन काल से ही महिलाओं को सम्मान और उच्च स्थान दिया गया है। वैदिक काल में महिलाओं को शिक्षा, राजनीति, युद्धकला और आध्यात्मिक ज्ञान में समान अवसर मिलते थे। भारतीय इतिहास में अनेक महान महिलाओं ने अपने योगदान से समाज को दिशा दी।
प्राचीन और मध्यकालीन भारत की महान महिलाएँ
- गार्गी और मैत्रेयी – वैदिक काल की विदुषी महिलाएँ, जिन्होंने शिक्षा और दर्शन के क्षेत्र में योगदान दिया।
- रानी लक्ष्मीबाई – 1857 की क्रांति की सबसे बड़ी नायिका, जिन्होंने झाँसी की रक्षा के लिए अंग्रेजों से लोहा लिया।
- रजिया सुल्तान – दिल्ली सल्तनत की पहली और एकमात्र महिला शासक, जिन्होंने कुशल प्रशासन का परिचय दिया।
- मीरा बाई – भक्ति आंदोलन की प्रसिद्ध कवयित्री और संत, जिन्होंने सामाजिक बंधनों से परे जाकर आध्यात्मिक ज्ञान को अपनाया।
- अहिल्याबाई होल्कर – एक महान शासक, जिन्होंने अपने शासनकाल में समाज सुधार और महिला कल्याण के लिए कई कार्य किए।
- चांद बीबी – एक बहादुर योद्धा और शासक, जिन्होंने मुगलों के खिलाफ संघर्ष किया।
आधुनिक भारत की प्रेरणादायक महिलाएँ
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय महिलाओं ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सक्रिय भाग लिया। कुछ प्रमुख महिलाएँ जिन्होंने भारत की आजादी के लिए संघर्ष किया:
- सरोजिनी नायडू – भारत की पहली महिला राज्यपाल और महान स्वतंत्रता सेनानी।
- विजया लक्ष्मी पंडित – संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष।
- कस्तूरबा गांधी – महात्मा गांधी की पत्नी और स्वतंत्रता आंदोलन की सक्रिय नेता।
- कमला नेहरू – स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख नेता, जिन्होंने महिलाओं को संगठित किया।
- अरुणा आसफ अली – 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली क्रांतिकारी।
स्वतंत्र भारत में महिलाओं की उपलब्धियाँ
राजनीति और प्रशासन
- इंदिरा गांधी – भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री, जिन्हें विश्व की सबसे प्रभावशाली नेताओं में गिना जाता है।
- प्रतिभा पाटिल – भारत की पहली महिला राष्ट्रपति।
- सुषमा स्वराज – एक उत्कृष्ट राजनीतिज्ञ और भारत की विदेश मंत्री, जिन्होंने वैश्विक स्तर पर देश का सम्मान बढ़ाया।
विज्ञान और तकनीक
- कल्पना चावला – भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री, जिन्होंने नासा के मिशन में हिस्सा लिया।
- टीसीएस की सिवा सुब्रमण्यम – कंप्यूटर विज्ञान और डेटा विश्लेषण के क्षेत्र में अग्रणी।
- डॉ. टेसी थॉमस – ‘मिसाइल वुमन ऑफ इंडिया’, जिन्होंने भारत के रक्षा अनुसंधान में बड़ी भूमिका निभाई।
खेल जगत में भारतीय महिलाएँ
- पी.वी. सिंधु – ओलंपिक पदक विजेता बैडमिंटन खिलाड़ी।
- साइना नेहवाल – भारत की पहली बैडमिंटन खिलाड़ी, जिन्होंने ओलंपिक में पदक जीता।
- मिताली राज – भारतीय महिला क्रिकेट टीम की महानतम बल्लेबाजों में से एक।
- मैरी कॉम – विश्व चैंपियन बॉक्सर, जिन्होंने छह बार विश्व खिताब जीते।
साहित्य और कला
- महादेवी वर्मा – हिंदी साहित्य की महान कवयित्री।
- अरुंधति रॉय – बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका।
- लता मंगेशकर – भारतीय संगीत की स्वर कोकिला।
- माधुरी दीक्षित और प्रियंका चोपड़ा – बॉलीवुड और अंतरराष्ट्रीय सिनेमा में प्रसिद्ध अभिनेत्री।
भारत में महिलाओं को प्रोत्साहित करने की परंपरा
भारत सदैव महिलाओं को सशक्त करने में अग्रणी रहा है। प्राचीन काल से लेकर आज तक भारतीय समाज ने महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का अवसर दिया है।
सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए प्रमुख योजनाएँ:
- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ – बालिकाओं की शिक्षा और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए।
- उज्ज्वला योजना – महिलाओं को गैस कनेक्शन देकर उनके जीवन को सरल बनाने के लिए।
- मुद्रा योजना – महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आर्थिक सहायता।
- महिला आरक्षण बिल – राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए।
- सेल्फ हेल्प ग्रुप और स्टार्टअप स्कीम – महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए।
भारत में महिला सशक्तिकरण की परंपरा सदियों पुरानी है। आज की भारतीय महिलाएँ हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं और देश का नाम रोशन कर रही हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) हमें इस बात की याद दिलाता है कि समानता की दिशा में प्रयासों को और अधिक तेज करने की आवश्यकता है। समाज और सरकार दोनों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि महिलाओं को आगे बढ़ने के समान अवसर मिलें और वे अपनी पूरी क्षमता से देश और समाज के विकास में योगदान दें।
“नारी शक्ति को प्रणाम! जो कभी दुर्गा बनकर अन्याय का संहार करती हैं, तो कभी सरस्वती बनकर ज्ञान का प्रकाश फैलाती हैं, और कभी लक्ष्मी बनकर परिवार और समाज को समृद्ध करती हैं।” (International Women’s Day)
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