संथाल आदिवासी समाज का अनोखा रिवाज: अगर लड़की पर डाला रंग, तो करनी पड़ेगी शादी!

संथाल आदिवासी समाज का अनोखा रिवाज: अगर लड़की पर डाला रंग, तो करनी पड़ेगी शादी!

होली के दौरान छेड़छाड़ की घटनाओं को रोकने के लिए संथाल आदिवासी समाज ने एक अनूठी परंपरा को अपनाया है। इस समुदाय में यदि किसी लड़की पर रंग डाल दिया जाता है, तो पंचायत इसका संज्ञान लेती है और कई बार उस लड़के को शादी करनी पड़ती है। आइए, जानते हैं इस परंपरा के बारे में।

संथाल समाज की पुरानी परंपरा

झारखंड के प्रसिद्ध साहित्यकार मनोज करपरदार के अनुसार, यह परंपरा हजारों साल पुरानी है। होली के दौरान महिलाओं की गरिमा बनाए रखने के लिए इस नियम की शुरुआत की गई थी।

पहले, होली के नाम पर लड़कियों के साथ बदसलूकी और छेड़छाड़ की घटनाएं आम थीं। इसे रोकने के लिए संथाल आदिवासी समाज ने यह सख्त रिवाज अपनाया, ताकि कोई भी व्यक्ति रंग लगाने के बहाने महिलाओं के साथ गलत व्यवहार न कर सके।

गलती से भी डाला रंग, तो पंचायत करेगी फैसला

अगर किसी लड़की पर जानबूझकर या गलती से भी रंग डाल दिया जाता है, तो गांव की पंचायत तुरंत इस मामले पर फैसला करती है। कई बार लड़के को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ती है, और कभी-कभी मामला शादी तक पहुंच जाता है। पंचायत में मौजूद बुजुर्ग लड़की से उसकी राय पूछते हैं, और फिर निर्णय लिया जाता है।

संथाल समाज में होली पर सख्त नियम

संथाल आदिवासी समाज में होली के दौरान अनुशासन का सख्ती से पालन किया जाता है। पहले, होली के मौके पर लोग अभद्र व्यवहार और अश्लील हरकतें करते थे, और इसे “होली का मजाक” कहकर टाल देते थे। लेकिन बुजुर्गों ने इस परंपरा को लागू कर दिया, जिससे महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

आज भी झारखंड के लोहरदगा सहित कई ग्रामीण इलाकों में यह परंपरा निभाई जाती है। होली के इस त्योहार में संथाल समाज के लोग पूरी मर्यादा और अनुशासन के साथ रंगों का आनंद लेते हैं, ताकि महिलाओं का सम्मान बना रहे।

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