बिना कीमोथेरेपी और रेडिएशन, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा से संभव हुआ उपचार
नई दिल्ली, में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में हॉस्पिटल एंड इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटेड मेडिकल साइंसेज (HIIMS) ने उन मरीजों की कहानियां साझा कीं, जिन्हें पारंपरिक अस्पतालों ने लाइलाज घोषित कर दिया था। जहां डॉक्टरों ने इन्हें कीमोथेरेपी और रेडिएशन की सलाह दी थी, वहीं इन मरीजों ने आयुर्वेद, पंचकर्म, DIP डाइट, फीवर थेरेपी और होम्योपैथी जैसी प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाया और बिना किसी पारंपरिक इलाज के पूरी तरह स्वस्थ हो गए।
कैंसर का इलाज: नई सोच, नया दृष्टिकोण
कार्यक्रम का नेतृत्व डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी और आचार्य मनीष ने किया। उन्होंने बताया कि कैसे HIIMS की समग्र चिकित्सा पद्धतियों ने मरीजों को बिना किसी साइड इफेक्ट के ठीक होने में मदद की।
इस मौके पर आचार्य मनीष ने पारंपरिक इलाज की सीमाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा,
“परंपरागत चिकित्सा पद्धतियां केवल लक्षणों को दबाने पर ध्यान देती हैं, जबकि हमारा उद्देश्य शरीर की प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना है, जिससे कैंसर को जड़ से समाप्त किया जा सके।”
डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी ने अपनी नई पुस्तक “रैबिट-टॉर्टोइज़ मॉडल फॉर कैंसर क्योर” का विमोचन करते हुए कहा,
“लोगों को यह विश्वास दिला दिया गया है कि कैंसर एक मौत की सजा है, लेकिन हमारे शोध और मरीजों के अनुभव साबित करते हैं कि इसे प्राकृतिक रूप से पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।”
HIIMS के मरीजों की सफलता की कहानियां
प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन मरीजों ने अपनी यात्रा साझा की, जिन्होंने HIIMS के प्राकृतिक इलाज से कैंसर को मात दी:
- निशामणि बेहरा (ओडिशा) – तीसरे स्टेज के ब्रेस्ट कैंसर की मरीज, जिनका ट्यूमर कुछ ही महीनों में बिना कीमोथेरेपी के खत्म हो गया।
- प्रतिभा सामल (दुबई) – ओवरी कैंसर से ग्रस्त, पारंपरिक डॉक्टरों ने उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन आयुर्वेद और पंचकर्म से पूरी तरह ठीक हुईं।
- चंदरवती (हरियाणा) – फेफड़ों के कैंसर की मरीज, जिन्हें केवल कुछ महीनों की ज़िंदगी बताई गई थी, लेकिन प्राकृतिक चिकित्सा से स्वस्थ हो गईं।
- अंबिका पुरी (चंडीगढ़) – ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर) की मरीज, जिनके ब्लड टेस्ट HIIMS की प्लांट-बेस्ड डाइट से नॉर्मल आ गए।
HIIMS का दृष्टिकोण: प्राकृतिक चिकित्सा से कैंसर का समाधान
HIIMS की चिकित्सा पद्धति शरीर को विषमुक्त करने, इम्यूनिटी बढ़ाने और कोशिकाओं को पुनर्जीवित करने पर केंद्रित है। इसमें पंचकर्म, DIP डाइट, ज़ीरो-वोल्ट थेरेपी, योग और सनलाइट थेरेपी जैसी तकनीकें शामिल हैं।
HIIMS ने अपने प्रयासों की तुलना नेताजी सुभाष चंद्र बोस के स्वतंत्रता संग्राम से करते हुए कहा कि जैसे नेताजी ने विदेशी शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी, वैसे ही वे कैंसर के पारंपरिक जहरीले इलाज के प्रभुत्व को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं।
कार्यक्रम का समापन इस सशक्त संदेश के साथ हुआ कि “कैंसर कोई बीमारी नहीं, बल्कि एक चयापचय (मेटाबोलिक) विकार है, जिसे प्राकृतिक चिकित्सा से पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।”
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