दिल्ली हाईकोर्ट में भ्रष्टाचार का भंडाफोड़: न्यायाधीश के घर से ₹1,000 करोड़ नकद मिलने पर हंगामा

दिल्ली हाईकोर्ट में भ्रष्टाचार का भंडाफोड़: न्यायाधीश के घर से ₹1,000 करोड़ नकद मिलने पर हंगामा

वैश्विक शांति दूत डॉ. के.ए. पॉल ने दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा पर गहन भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उनकी तुरन्त गिरफ्तारी और सीबीआई, ईडी एवं सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के पैनल द्वारा निष्पक्ष जांच की मांग की है। डॉ. पॉल का दावा है कि न्यायाधीश वर्मा के निवास पर लगी आग के दौरान अधिकारियों को ₹1,000 करोड़ से अधिक नकद बरामद हुआ, जिसे गुप्त रूप से हटाकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायाधीश का तबादला कर दिया गया।

विवाद की गहराई और मांगें

डॉ. पॉल के अनुसार, आग लगने के समय बरामद हुए इस विशाल नकदी को जांच के लिए सील करने के बजाय, उसे छिपा दिया गया और मामले को दबाने की कोशिश की गई। इस घटना से न केवल न्याय व्यवस्था में दरारें साफ दिखाई दे रही हैं, बल्कि राजनीतिक हस्तक्षेप और न्यायिक प्रतिरक्षा पर भी कड़ा प्रश्न उठता है।

उनकी प्रमुख मांगों में शामिल हैं:

  1. न्यायाधीश वर्मा की तत्काल गिरफ्तारी और रिमांड पर लिए जाने की व्यवस्था।
  2. सीबीआई, ईडी और सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के पैनल द्वारा स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच।
  3. भ्रष्टाचार में लिप्त न्यायाधीशों के लिए न्यायिक प्रतिरक्षा को समाप्त करना और संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत कानून की समानता सुनिश्चित करना।
  4. मीडिया द्वारा निष्पक्ष रिपोर्टिंग, ताकि मामले को दबाने के प्रयास विफल हों।
  5. न्यायपालिका में जवाबदेही की व्यवस्था, जिससे राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाव हो सके।

डॉ. पॉल का कड़ा बयान

डॉ. के.ए. पॉल ने कहा, “यह एक अत्यंत चौंकाने वाला मामला है। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश के निवास में आग लगने के दौरान बरामद हुए ₹1,000 करोड़ से अधिक नकद के बावजूद सीबीआई या ईडी की कोई जांच नहीं हुई। बल्कि, इस धनराशि को गुप्त तरीके से हटाकर न्यायाधीश का इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरण कर दिया गया। कानून मंत्री और मुख्य न्यायाधीश की चुप्पी इस घोटाले को छिपाने में सहायक सिद्ध हो रही है। न्यायाधीश कानून से ऊपर नहीं हैं और उन्हें कोई प्रतिरक्षा नहीं मिलनी चाहिए। यदि अब कार्रवाई नहीं हुई तो भारत के लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था को गहरा संकट आ जाएगा।”

डॉ. पॉल ने जनता तथा मीडिया से अपील की कि वे इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाएं और न्याय की मांग करें। उनका कहना है कि यह मामला केवल एक न्यायाधीश का नहीं, बल्कि सम्पूर्ण न्याय प्रणाली और लोकतंत्र की सुरक्षा का प्रश्न है।

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