मस्जिद विवाद में बवाल: वक्फ बोर्ड के नियुक्त इमाम को नमाज़ पढ़ने से रोका गया, सलमा ने उठाए गंभीर आरोप
7 अप्रैल 2025 , नई दिल्ली
राजधानी के कोटला मुबारकपुर क्षेत्र में स्थित एक वक्फ संपत्ति और मस्जिद को लेकर भारी विवाद खड़ा हो गया है। वक्फ बोर्ड द्वारा नियुक्त इमाम और स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि कुछ बाहरी लोग अवैध रूप से मस्जिद और वक्फ की जमीन पर कब्जा जमाए हुए हैं और इमाम को नमाज़ पढ़ाने से रोका जा रहा है।
25 वर्षों से मस्जिद में सेवाएं दे रहे इमाम को निकाला गया
मस्जिद के इमाम ने बताया कि वह पिछले 25-26 वर्षों से इस मस्जिद में सेवाएं दे रहे हैं और वक्फ बोर्ड द्वारा आधिकारिक रूप से नियुक्त किए गए हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने मस्जिद परिसर में अनेक निर्माण कार्य करवाए हैं, लेकिन अब उन्हें ही अंदर प्रवेश करने और नमाज़ अदा कराने से रोका जा रहा है।
उन्होंने बताया, “कागज़ों के अनुसार मैं वक्फ बोर्ड द्वारा नियुक्त इमाम हूँ, लेकिन कुछ लोग जबरन मस्जिद पर कब्जा जमाए बैठे हैं।”
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सलमा ने लगाए गंभीर आरोप, वीडियो सबूतों की बात
स्थानीय निवासी सलमा ने बताया कि मस्जिद की जमीन गरीबों के लिए थी, लेकिन कुछ प्रभावशाली लोग, जैसे कि सलीम कुरैशी (जिनके बारे में बताया गया कि वे अभिनेत्री हुमा कुरैशी के पिता हैं), ने इस पर कब्जा कर लिया है। सलमा ने आरोप लगाया कि सलीम कुरैशी और उनके सहयोगी बच्चों के साथ गलत बर्ताव करते हैं और महिलाओं के साथ भी दुर्व्यवहार करते हैं।

सलमा ने यह भी कहा कि उन्होंने स्वयं मस्जिद में लगे सीसीटीवी कैमरों की मरम्मत करवाई थी, लेकिन कुछ ही समय बाद उन्हें तोड़ दिया गया। यह दर्शाता है कि वे लोग किसी अनैतिक गतिविधि को छिपाना चाहते हैं। उन्होंने बताया, “मैं यहां पिछले 35 साल से रह रही हूं और सामाजिक कार्यकर्ता हूं। मैंने बच्चों से बात की है, उनके बयान लिए हैं, और हमारे पास उनके वीडियो हैं।”
अवैध कब्जेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस मामले में पुलिस थाने में कई शिकायतें की गई हैं, लेकिन अभी तक किसी प्रकार की ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। कुछ लोगों ने दावा किया कि इन अवैध कब्जेदारों के आपराधिक रिकॉर्ड भी पुलिस द्वारा निकाले गए हैं, और कई बार उन्हें कश्मीर और राजस्थान पुलिस ने भी उठाया है, लेकिन फिर भी ये लोग वहीं रह रहे हैं।
स्थानीय लोगों की मांग
मस्जिद और वक्फ संपत्ति से अवैध कब्जेदारों को हटाया जाए।
- 25 साल से सेवाएं दे रहे इमाम को फिर से नियुक्त किया जाए और उन्हें सुरक्षा दी जाए।
- पुलिस एवं प्रशासन द्वारा तत्काल कार्रवाई हो और दोषियों को दंडित किया जाए।
- बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
- मस्जिद की संपत्ति का उपयोग स्कूल, अस्पताल और मदरसे जैसे जनहित कार्यों में किया जाए।
यह मामला न केवल धार्मिक स्थल के अपमान का है, बल्कि सामाजिक और प्रशासनिक विफलता को भी उजागर करता है। वक्फ बोर्ड और प्रशासन को जल्द से जल्द हस्तक्षेप करना चाहिए, ताकि न्याय मिल सके और धार्मिक स्थलों की गरिमा बनी रहे। स्थानीय लोगों ने सरकार से अपील की है कि वे इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराएं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।
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