शनिवार को आसमान में खिलेगा ‘पिंक मून’, जानिए कब और कहां दिखेगा ये दुर्लभ नज़ारा

शनिवार को आसमान में खिलेगा ‘पिंक मून’, जानिए कब और कहां दिखेगा ये दुर्लभ नज़ारा

गुलाबी नहीं, फिर भी खास है ये चांद – जानिए क्यों कहते हैं इसे ‘पिंक मून’

12 अप्रैल 2025 ,नई दिल्ली

खगोल प्रेमियों के लिए 12 अप्रैल यानी शनिवार का दिन बेहद खास होने वाला है। इस दिन आसमान में एक अनोखा और खूबसूरत चांद दिखेगा, जिसे ‘पिंक मून’ कहा जाता है। हालांकि इसका रंग सच में गुलाबी नहीं होता, लेकिन इसे ये नाम इसलिए मिला है क्योंकि उत्तरी अमेरिका में इस समय के आसपास फ्लॉक्स सबुलता नामक गुलाबी फूल खिलते हैं। इन्हीं फूलों से इस चांद को ‘पिंक मून’ नाम दिया गया है।

क्या होता है ‘पिंक मून’?


अप्रैल महीने में दिखाई देने वाला पूर्णिमा का चांद ‘पिंक मून’ कहलाता है। इस चांद को पाश्चल मून और माइक्रोमून के नाम से भी जाना जाता है। यह विशेष चंद्रमा ईस्टर पर्व की तिथि तय करने में अहम भूमिका निभाता है। हालांकि, इसका रंग वाकई गुलाबी नहीं होता, बल्कि वायुमंडलीय प्रभावों की वजह से यह कभी-कभी हल्का नारंगी या सुनहरा दिख सकता है।

भारत में कब और कैसे दिखेगा पिंक मून?


भारत में पिंक मून 13 अप्रैल की सुबह लगभग 5:00 बजे देखा जा सकेगा। अमेरिका में यह 12 अप्रैल को रात 8:22 बजे के आसपास नजर आएगा। इस बार यह चांद एक माइक्रोमून होगा, जिसका मतलब है कि यह चांद पृथ्वी से अपनी सबसे ज्यादा दूरी (अपोजी) पर होगा। इसी कारण यह सामान्य से थोड़ा छोटा और कम चमकीला दिखेगा।

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कहां से देखें ये अद्भुत दृश्य?


अगर आप इस खास खगोलीय घटना को साफ-साफ देखना चाहते हैं तो किसी खुले मैदान, ऊंची जगह या कम रोशनी और कम प्रदूषण वाले इलाके का चुनाव करें। चांद सूर्यास्त के तुरंत बाद पूर्व दिशा में उगता है, और उस वक्त इसे देखना सबसे अच्छा होता है। उस समय ‘मून इल्यूजन’ के कारण चांद सामान्य से बड़ा दिखाई देता है।

क्यों दिखता है चांद कभी रंग बदलता हुआ?


लाइट स्पेक्ट्रम में सात रंग होते हैं – लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, इंडिगो और वायलेट। जब चांद की रोशनी पृथ्वी के वायुमंडल से होकर आती है, तो कुछ रंग फिल्टर हो जाते हैं और बाकी फैल जाते हैं। इसी कारण से कभी-कभी चांद हल्का लाल, नारंगी या नीला नजर आता है। यही प्रक्रिया ‘पिंक मून’ के पीछे की असली वैज्ञानिक वजह भी है।

कैसे देखें बेहतर?


अगर आपके पास दूरबीन है तो आप इस चांद के क्रेटर, सतह और छाया जैसे बारीक विवरणों को भी देख सकते हैं। चंद्रमा अपने चरम चरण में एक दिन पहले और एक दिन बाद भी लगभग पूरा दिखता है, इसलिए इस नज़ारे का लुत्फ दो-तीन दिनों तक लिया जा सकता है।

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