अंडों में कैंसरकारी तत्व होने के दावों को FSSAI ने खारिज किया, कहा—वैज्ञानिक प्रमाणों के मुताबिक अंडे सुरक्षित हैं और घबराने की कोई जरूरत नहीं।
20 दिसंबर 2025, नई दिल्ली
अंडों को कैंसर के खतरे से जोड़ने वाले हालिया दावों पर भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने साफ और सख्त रुख अपनाया है। खाद्य सुरक्षा नियामक ने कहा है कि देश में उपलब्ध अंडे पूरी तरह सुरक्षित हैं और इन्हें लेकर फैलाया जा रहा डर भ्रामक और वैज्ञानिक आधार से परे है।
शनिवार को जारी अपने आधिकारिक बयान में FSSAI ने स्पष्ट किया कि अंडों में कैंसरकारी पदार्थों की मौजूदगी से जुड़े दावे निराधार हैं। नियामक के मुताबिक, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स में यह कहा गया था कि भारत में बिकने वाले अंडों में नाइट्रोफ्यूरान मेटाबोलाइट्स (AOZ) पाए गए हैं, जिनका संबंध कथित तौर पर कैंसर से जोड़ा जाता है। FSSAI ने इन दावों को गलत और अनावश्यक डर फैलाने वाला बताया।
FSSAI ने जानकारी दी कि खाद्य सुरक्षा और मानक (संदूषक, विषैले पदार्थ और अवशेष) विनियम, 2011 के तहत मुर्गी पालन और अंडा उत्पादन के हर चरण में नाइट्रोफ्यूरान का इस्तेमाल सख्ती से प्रतिबंधित है। साथ ही नाइट्रोफ्यूरान मेटाबोलाइट्स के लिए 1.0 माइक्रोग्राम प्रति किलोग्राम (µg/kg) की बाह्य अधिकतम अवशेष सीमा (EMRL) तय की गई है, जो केवल जांच और नियामक प्रवर्तन के उद्देश्य से निर्धारित की गई है।
FSSAI के अधिकारियों ने बताया कि यह सीमा उस न्यूनतम स्तर को दर्शाती है, जिसे आधुनिक प्रयोगशाला तकनीकों से पहचाना जा सकता है। इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि ऐसे पदार्थों का उपयोग अनुमत है। नियामक के अनुसार, ईएमआरएल से नीचे पाए जाने वाले बेहद सूक्ष्म अवशेष न तो खाद्य सुरक्षा का उल्लंघन हैं और न ही उनसे किसी तरह का स्वास्थ्य जोखिम पैदा होता है।
नियामक ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत का खाद्य सुरक्षा ढांचा अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है। यूरोपीय संघ और अमेरिका जैसे देशों में भी खाद्य उत्पादन से जुड़े पशुओं में नाइट्रोफ्यूरान के उपयोग पर प्रतिबंध है और वहां भी इसी तरह संदर्भ मानकों का इस्तेमाल केवल निगरानी और प्रवर्तन के लिए किया जाता है। अलग-अलग देशों में संख्यात्मक मानों में अंतर उपभोक्ता सुरक्षा नहीं, बल्कि विश्लेषण और नियामक प्रक्रियाओं में फर्क को दर्शाता है।
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सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े सवालों पर FSSAI ने कहा कि उपलब्ध वैज्ञानिक प्रमाणों में नाइट्रोफ्यूरान मेटाबोलाइट्स के बेहद कम स्तर के सेवन और मनुष्यों में कैंसर या किसी अन्य गंभीर बीमारी के बीच कोई प्रत्यक्ष संबंध साबित नहीं हुआ है।
प्राधिकरण ने दो टूक कहा कि किसी भी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसी ने सामान्य रूप से अंडे खाने को कैंसर के बढ़ते खतरे से नहीं जोड़ा है। किसी खास ब्रांड या बैच में मिले अलग-थलग मामलों को पूरे देश की अंडा आपूर्ति से जोड़ना वैज्ञानिक रूप से गलत है।
FSSAI ने अंत में उपभोक्ताओं से अपील की कि वे अप्रमाणित खबरों या सोशल मीडिया के दावों से भ्रमित न हों और केवल आधिकारिक व वैज्ञानिक स्रोतों पर भरोसा करें। नियामक ने दोहराया कि नियमों के तहत उत्पादित अंडे सुरक्षित, पौष्टिक और संतुलित आहार का अहम हिस्सा हैं।
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