धौलपुर से शुरू हुई फर्जीवाड़े की पटकथा: हाईकोर्ट को गुमराह करने वाले गैंग का यूपी पुलिस ने किया भंडाफोड़
नोएडा की कंपनी को फंसाने की कोशिश में धौलपुर थानों में झूठी रिपोर्ट्स दर्ज, पुलिस ने खोला बड़ा फर्जीवाड़ा 25 जुलाई 2025, धौलपुर यूपी पुलिस ने शुक्रवार को हाईकोर्ट में...

नोएडा की कंपनी को फंसाने की कोशिश में धौलपुर थानों में झूठी रिपोर्ट्स दर्ज, पुलिस ने खोला बड़ा फर्जीवाड़ा
25 जुलाई 2025, धौलपुर
यूपी पुलिस ने शुक्रवार को हाईकोर्ट में दस्तावेजों पर फर्जी हस्ताक्षर कर जालसाजी व धोखाधड़ी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। इनकी पहचान संजीव गौड़, अराधना गौड़ और राजेश कुमार के रूप में हुई है। पुलिस ने इन सभी को कड़ी सुरक्षा के बीच जिला न्यायालय प्रयागराज स्थित जस्टिस संदीप पारचा, कोर्ट नंबर 5 में पेश किया। सभी आरोपियों को वहां से न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ NBW (गैर-जमानती वारंट) जारी किया था। जिस पर ही पुलिस ने ये कार्रवाई की। यह कार्रवाई अपराध संख्या 167/2024 के तहत की गई, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 419, 420, 467, 468, 471, और 120B जैसी गंभीर धाराओं में केस दर्ज है।
मामला खासकर इसलिए राजस्थान के धौलपुर से भी जुड़ा है क्योंकि आरोपियों ने नोएडा की एक हेल्थकेयर कंपनी के खिलाफ धौलपुर के थानों में तीन फर्जी एफआईआर दर्ज करवाई थीं, जो जांच में झूठी पाई गईं।
क्या है पूरा मामला :
मामले की जानकारी के अनुसार, नोएडा स्थित एक हेल्थकेयर कंपनी के मालिक ने थाना कैंट, प्रयागराज में एफआईआर दर्ज कराई थी। रिपोर्ट के मुताबिक आरोपियों ने हाईकोर्ट, इलाहाबाद में लंबित वाणिज्यिक मामले को प्रभावित करने के लिए जालसाजी की। शिकायतकर्ता का आरोप है कि आरोपी संजीव गौड़, उनकी पत्नी अराधना गौड़ और राजेश कुमार ने मिलीभगत कर उनके फर्जी हस्ताक्षर वाले दस्तावेज अदालत में पेश किए, जिससे न्यायालय को भ्रमित किया गया।
इतना ही नहीं, इस गिरोह ने नोएडा की उक्त कंपनी और उसके कर्मचारियों के खिलाफ भी राजस्थान के धौलपुर थाने में तीन फर्जी एफआईआर दर्ज कराई थीं, जिन्हें पुलिस जांच में झूठा पाया गया और बाद में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई। इसके बाद कोर्ट के आदेश पर कैन्ट थाना, प्रयागराज में धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज, फर्जीवाड़ा, आपराधिक साजिश समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया।
पुलिस की सतर्कता से फूटा फर्जीवाड़ा :
जांच के दौरान सामने आया कि आरोपियों ने अदालती प्रक्रिया को बाधित करने के लिए नकली दस्तावेज और जाली हस्ताक्षर तैयार किए थे। साथ ही, राजेश कुमार ने खुद को कंपनी का कर्मचारी दर्शाकर फर्जी वकालतनामा न्यायालय में जमा कराया और एक अधिवक्ता के फर्जी हस्ताक्षर करते हुए याचिका दाखिल कर दी। पुलिस ने फोन नंबरों व दस्तावेजों के मिलान के आधार पर पूरे फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ किया।
गिरफ्तारी के बाद कोर्ट में पेशी :
पुलिस ने आरोपियों को कड़ी सुरक्षा के बीच कोर्ट नं. 5, जस्टिस संदीप पारचा के सामने पेश किया। अदालत ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए आरोपियों को न्यायिक हिरासत में जेल भेजने का आदेश दिया। सूत्रों के मुताबिक, पुलिस ने अदालत में यह भी तर्क दिया कि मामले में अन्य आरोपियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है और पूरे गिरोह का नेटवर्क जल्द उजागर हो सकता है।
अन्य आरोपियों की तलाश जारी :
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, प्राथमिकी में पांच अन्य नाम भी शामिल हैं। इनमें कंपनी के अन्य निदेशक, कर्मचारी और वकील शामिल हैं। इन सभी की भूमिका की भी जांच की जा रही है। पुलिस ने आम नागरिकों से अपील की है कि यदि किसी को इन आरोपियों या इनके नेटवर्क से संबंधित कोई जानकारी हो तो वह तत्काल निकटतम पुलिस स्टेशन या विवेचक से संपर्क करे।
क्या बोले पुलिस अधिकारी :
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, “यह संगठित अपराध का मामला है, जिसमें न्यायालय को गुमराह करने की संगठित कोशिश की गई थी। अब तक तीन मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, बाकी की तलाश जारी है। पूरे मामले पर पुलिस की कड़ी नजर है और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।”
प्रयागराज पुलिस की इस कार्रवाई ने न केवल हाईकोर्ट की गरिमा की रक्षा की, बल्कि समाज को भी यह संदेश दिया कि कानून और न्यायिक व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने वालों को कतई बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस की सक्रियता और सतर्कता के चलते एक बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है। मामले की जांच जारी है, और जल्द ही अन्य नामचीन चेहरों की भी गिरफ्तारी संभव है। धौलपुर के लिए यह मामला खास महत्व रखता है क्योंकि झूठी एफआईआर की स्क्रिप्ट यहीं लिखी गई थी। इस कार्रवाई से यह संदेश गया है कि देश की न्यायिक व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने वालों को अब कहीं भी बख्शा नहीं जाएगा।