हैलो बंजारा – चलो दिल्ली अभियान की गूँज राजधानी में तेज़; भूमि अधिकार, राष्ट्रीय मान्यता और विकास बोर्ड गठन की उठी मांगें
नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय पोस्टर विमोचन कार्यक्रम में देशभर से आए बंजारा प्रतिनिधियों ने मूलभूत सुविधाओं, विरासत संरक्षण और संवैधानिक मान्यता से जुड़ी प्रमुख मांगों पर जोर दिया।
नई दिल्ली, 29 नवंबर 2025
राजधानी में आज “हैलो बंजारा – चलो दिल्ली / दिल्ली आओ बंजारा – बजाओ नंगड़ा” अभियान के राष्ट्रीय पोस्टर का भव्य विमोचन किया गया। बंजारा भारत और नवगठित अखिल भारतीय बंजारा महा सेवा संघ द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से समुदाय के नेता और प्रतिनिधि शामिल हुए। सभी ने मिलकर बंजारा समाज की दशकों पुरानी समस्याओं को सामने रखते हुए केंद्र सरकार को एक व्यापक मांग पत्र सौंपने पर सहमति जताई।
कार्यक्रम के संरक्षक और पूर्व सांसद रविंद्र नायक ने कहा कि आज़ादी के 80 साल बाद भी देश के करीब 20 राज्यों में बसे टांडा, नगला और डेरे बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। उन्होंने बताया कि पेयजल, सड़क, बिजली, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सुविधाएँ आज भी इन बस्तियों में संघर्ष का विषय हैं। सांस्कृतिक रूप से एकजुट बंजारा समाज को विभिन्न राज्यों में अलग-अलग श्रेणियों — SC, ST, OBC और VJNT — में बांटे जाने से उनकी राजनीतिक और सामाजिक स्थिति कमजोर होती गई है, जबकि यह समुदाय 200 लोकसभा और लगभग 1,000 विधानसभा क्षेत्रों में फैला है।
कार्यक्रम में लक्की शाह बंजारा को भी याद किया गया, जिनका ऐतिहासिक 350 एकड़ का टांडा आज के रायसीना हिल्स के रूप में जाना जाता है। आयोजकों ने इस क्षेत्र के शेष भूमि मुआवजे के निपटान की मांग दोहराते हुए कहा कि वर्षों बाद भी समुदाय को न्याय नहीं मिला है।
सामुदायिक नेताओं ने बंजारा विरासत स्थलों को राष्ट्रीय महत्व की धरोहर घोषित करने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की भी मांग उठाई। इसमें लोहारगढ़ (हरियाणा), मांगरह (राजस्थान), लखी सराय (बिहार), मथुरा–वृंदावन (उत्तर प्रदेश), सागर लक्की शाह झील (मध्य प्रदेश), बंजारा हिल्स, गोलकुंडा गेट (तेलंगाना), बाबा हाथीराम मठ (तिरुपति) और कदंबुर हिल्स (तमिलनाडु) जैसे स्थल शामिल हैं।
साझा मांग पत्र में बंजारा/गोर बोली को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग प्रमुख रही। इसके साथ ही सभी 16 बंजारा उप-समूहों को एक समान राष्ट्रीय मान्यता देने का आग्रह किया गया, ताकि “वन नेशन, वन बंजारा” की अवधारणा को लागू किया जा सके और राज्यों में सामाजिक-राजनीतिक असमानताएँ खत्म हो सकें।
आयोजकों ने राष्ट्रीय बंजारा टांडा–नगला–डेरे विकास बोर्ड के गठन की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे देशभर की बंजारा बस्तियों में आवश्यक सेवाएं और सुविधाएं सुनिश्चित की जा सकें। दिल्ली व हैदराबाद में राष्ट्रीय बंजारा संग्रहालय तथा राष्ट्रीय बंजारा विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग भी बैठक में रखी गई, जिससे समुदाय की संस्कृति और शोध को बढ़ावा मिल सके।
इसके अलावा यायावर जीवन शैली से जुड़े छोटे व्यापारियों और होकर्स के लिए आधिकारिक पहचान पत्र और सुरक्षा कवच प्रदान करने की भी अपील की गई।
बंजारा महिलाओं की शिक्षा दर कम होने पर चिंता व्यक्त करते हुए प्रतिनिधियों ने लगभग 200 जिला मुख्यालयों में महिला आवासीय विद्यालय स्थापित करने की मांग रखी। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की प्रमुख सड़कों को बंजारा प्रतीकों के नाम पर रखने, राष्ट्रीय बंजारा अनुसंधान एवं विकास आयोग के गठन, संसद परिसर में लक्की शाह बंजारा और मकन शाह लुबाना की प्रतिमाओं की स्थापना, “बंजारा भारत रेल” नाम से एक राष्ट्रीय ट्रेन शुरू करने, और सेना में बंजारा रेजिमेंट बनाने की मांग भी उठाई गई।
कार्यक्रम का समापन एकता, पहचान और अधिकारों की लड़ाई को मजबूत करने के संकल्प के साथ हुआ। समुदाय ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि इन लंबित ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और विकास संबंधी मुद्दों पर शीघ्र कार्रवाई की जाए।