पितृ पक्ष 2025: गया से ब्रह्मकपाल तक, पिंडदान ( Pind Daan ) के लिए सबसे पवित्र माने जाते हैं ये स्थल

श्राद्ध पक्ष में इन पावन धामों पर पिंडदान ( Pind Daan ) से मिलता है पितरों को मोक्ष

Suditi Raje | Published: September 8, 2025 17:06 IST, Updated: September 8, 2025 17:06 IST
पितृ पक्ष 2025: गया से ब्रह्मकपाल तक, पिंडदान ( Pind Daan ) के लिए सबसे पवित्र माने जाते हैं ये स्थल

नई दिल्ली, 08 सितंबर 2025

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। यह 16 दिन का समय पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए समर्पित होता है। इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर 2025 से हो चुकी है। इन दिनों लोग अपने पितरों की स्मृति में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान ( Pind Daan ) करते हैं। मान्यता है कि पिंडदान से पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है और घर-परिवार पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है।

अक्सर लोग उलझन में रहते हैं कि पिंडदान ( Pind Daan ) किस स्थान पर किया जाए। शास्त्रों में देशभर के कई ऐसे पवित्र स्थल बताए गए हैं जहां श्राद्ध पक्ष में पिंडदान करने से विशेष फल प्राप्त होता है। इनमें से प्रमुख 10 स्थान इस प्रकार हैं:

1. गया (बिहार)

पिंडदान ( Pind Daan ) के लिए सबसे पवित्र स्थल माना जाता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार, गया की 54 वेदियों में विष्णुपद को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। फल्गु नदी में स्नान और तर्पण करने से पितरों को देवयोनि प्राप्त होती है। कहा जाता है कि यहां पिंडदान करने से सात पीढ़ियों के पितरों को मोक्ष मिलता है।

2. ब्रह्मकपाल (उत्तराखंड)

बद्रीनाथ धाम में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित यह स्थल पिंडदान ( Pind Daan ) का सर्वोच्च स्थान माना गया है। मान्यता है कि महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने अपने पितरों का पिंडदान यहीं किया था। यहां किया गया तर्पण पितरों को सीधे वैकुंठ की प्राप्ति कराता है।

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3. जगन्नाथ पुरी (ओडिशा)

भगवान जगन्नाथ की नगरी पुरी को भी पिंडदान ( Pind Daan ) के लिए बेहद पवित्र माना गया है। कहा जाता है कि यहां किया गया श्राद्ध पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है।

4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)

नर्मदा नदी के तट पर स्थित यह स्थान ब्रह्मा, विष्णु और महेश का निवास माना जाता है। ओंकारेश्वर में किया गया पिंडदान (Pind Daan ) पितरों को मोक्ष दिलाने वाला माना जाता है।

5. पुष्कर (राजस्थान)

‘तीर्थों का राजा’ कहे जाने वाले पुष्कर में पिंडदान ( Pind Daan ) का विशेष महत्व है। यहां श्राद्ध करने से करोड़ों यज्ञ के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।

6. हरिद्वार (उत्तराखंड)

गंगा तट पर स्थित हरिद्वार के हर की पौड़ी पर पिंडदान का विधान है। माना जाता है कि यहां पिंडदान ( Pind Daan ) करने से पितरों की आत्मा का उद्धार होता है।

7. प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)

गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम स्थल प्रयागराज में पिंडदान ( Pind Daan ) का विशेष महत्व है। यह स्थान ऋषि भारद्वाज की तपोभूमि भी है।

8. द्वारका (गुजरात)

श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका को भी पिंडदान ( Pind Daan ) के लिए पावन माना जाता है। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण को यहीं मोक्ष प्राप्त हुआ था, इसलिए यहां किया गया पिंडदान पितरों को मुक्ति दिलाता है।

9. महाकाल (उज्जैन, मध्य प्रदेश)

शिप्रा नदी के तट पर स्थित उज्जैन का महाकाल क्षेत्र भी पिंडदान ( Pind Daan ) के लिए शुभ माना जाता है। यहां भगवान शिव की आराधना के साथ किया गया श्राद्ध पितरों को मोक्ष दिलाता है।

10. रामेश्वरम (तमिलनाडु)

चार धामों में से एक रामेश्वरम में स्वयं भगवान श्रीराम ने पिंडदान ( Pind Daan ) और तप किया था। मान्यता है कि यहां श्राद्ध करने से पितरों को सीधा मोक्ष प्राप्त होता है।

पितृ पक्ष का महत्व केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान का भी प्रतीक है। चाहे गया हो, ब्रह्मकपाल या फिर गंगा-यमुना संगम, इन पावन स्थलों पर किया गया पिंडदान व्यक्ति को आध्यात्मिक संतोष और पितरों का आशीर्वाद दोनों प्रदान करता है।

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