क्रिप्टो इकोसिस्टम के बाहर स्टेबलकॉइन्स का उपयोग अब भी सीमित, BIS की नई रिपोर्ट में खुलासा

क्रिप्टो इकोसिस्टम के बाहर स्टेबलकॉइन्स का उपयोग अब भी सीमित, BIS की नई रिपोर्ट में खुलासा

बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) ने अगस्त 2025 में अपनी वार्षिक सर्वे रिपोर्ट जारी की, जिसमें सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) और क्रिप्टो एसेट्स पर व्यापक जानकारी दी गई। सर्वे 2024 में 93 केंद्रीय बैंकों के साथ किया गया था, जिनमें से 73 बैंक पहले भी इस सर्वे में शामिल थे। ये बैंकों का प्रतिनिधित्व दुनिया की 78% आबादी और 94% वैश्विक आर्थिक उत्पादन से करता है। इनमें से 28 उन्नत अर्थव्यवस्थाओं और 65 उभरते व विकासशील देशों से हैं।

स्टेबलकॉइन्स का उपयोग ज्यादातर क्रिप्टो ट्रेडिंग और DeFi में

स्टेबलकॉइन्स ऐसे डिजिटल टोकन हैं जो किसी मुद्रा से जुड़े होते हैं, जैसे USDT अमेरिकी डॉलर से, EURC यूरो से और JPYC जापानी येन से। BIS सर्वे के अनुसार, अधिकांश केंद्रीय बैंकों ने बताया कि उनके देशों में स्टेबलकॉइन्स का भुगतान के लिए उपयोग नगण्य है। क्रिप्टो ट्रेडिंग और विकेंद्रीकृत वित्त (DeFi) के अलावा, इनका उपयोग मुख्यतः सीमित समूहों द्वारा किया जा रहा है:

  • घरेलू खुदरा भुगतान: 20%
  • रेमिटेंस/प्रेषण: 21%
  • सीमा-पार खुदरा भुगतान: 20%

कुछ ही केंद्रीय बैंकों ने घरेलू थोक भुगतान (1%), घरेलू खुदरा भुगतान (1%), सीमा-पार भुगतान (3%) और रेमिटेंस (4%) में स्टेबलकॉइन्स के उपयोग की सूचना दी।

वैश्विक नियमन में तेजी

हालांकि वास्तविक दुनिया में स्टेबलकॉइन्स का उपयोग सीमित है, लेकिन दुनिया भर में इनके नियमन में तेजी देखी जा रही है। BIS रिपोर्ट के अनुसार:

  • 45% देशों ने स्टेबलकॉइन्स और अन्य क्रिप्टो एसेट्स के लिए नियम लागू किए हैं (2023 में 35%)
  • 22% देशों में नियामक ढांचा विकसित करने की प्रक्रिया चल रही है

इसका मतलब है कि दुनिया भर में दो-तिहाई से अधिक देशों ने या तो स्टेबलकॉइन्स को नियंत्रित करने वाले नियम बना लिए हैं या बनाने वाले हैं। अमेरिका, हांगकांग, सिंगापुर और यूके ने स्टेबलकॉइन्स के लिए विशेष नियम बनाए हैं। वहीं, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, मैक्सिको और यूरोपीय संघ ने क्रिप्टो एसेट्स के लिए व्यापक नियामक ढांचे पर काम किया है।

वाणिज्यिक बैंकों द्वारा स्टेबलकॉइन जारी करना कम

सर्वे में यह भी पता चला कि केवल 8% देशों में वाणिज्यिक बैंकों ने स्टेबलकॉइन्स जारी किए हैं। इनमें ANZ (ऑस्ट्रेलिया), KBC (बेल्जियम), BTG Pactual (ब्राज़ील) और Société Générale (फ्रांस) शामिल हैं। ये स्टेबलकॉइन्स आमतौर पर क्राउडफंडिंग, पेंशन भुगतान, बैंकिंग ट्रांसफर या पारंपरिक और डिजिटल वित्त के बीच पुल के लिए बनाए गए हैं। पारंपरिक वित्तीय बाजारों में इनका उपयोग, जैसे गारंटी संपत्ति, निवेश या निपटान के लिए, नगण्य रहा है।

टोकनाइजेशन और भविष्य के अवसर

BIS सर्वे से यह भी पता चला कि 48% देशों में निजी या सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं ने 2024 के अंत तक वित्तीय या वास्तविक परिसंपत्तियों के टोकनाइजेशन पर काम किया। इनमें से 38% देशों ने टोकनाइज्ड एसेट जारी किए और अन्य पायलट या लाइव इश्यू पर काम कर रहे हैं। अधिकांश सक्रियता विकसित अर्थव्यवस्थाओं में देखी गई।

भारत और वैश्विक वित्त के लिए निहितार्थ

रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि सीमाओं रहित स्टेबलकॉइन्स और क्रिप्टो एसेट गतिविधियों के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन और नियमन अनिवार्य है। इससे उपभोक्ताओं और निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और जिम्मेदार नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

भारत के लिए यह अवसर है कि वह CBDC, स्टेबलकॉइन्स और टोकनाइजेशन के मॉडल का नियमन के तहत परीक्षण करे, डिजिटल नवाचार को अपनाए और आर्थिक वृद्धि के लिए सही दिशा तय करे।

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