भारत बना न्यूरोविज्ञान अनुसंधान का केंद्र; IANR–SRS सम्मेलन ने पेश की नई दिशा

भारत बना न्यूरोविज्ञान अनुसंधान का केंद्र; IANR–SRS सम्मेलन ने पेश की नई दिशा

सेलुलर थैरेपी को आयुष्मान भारत में शामिल करने की मांग ने आकर्षित किया ध्यान

नई दिल्ली: भारत की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित IANR और SRS के संयुक्त सम्मेलन ने पुनर्जनन चिकित्सा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को नई दिशा दी और अनेक महत्वपूर्ण शोध निष्कर्षों पर चर्चा की।

यह दो दिवसीय सम्मेलन भारत, अमेरिका, चीन, पोलैंड, दक्षिण कोरिया, अर्जेंटीना, हांगकांग सहित कई देशों से आए 500 से अधिक डॉक्टरों, वैज्ञानिकों और मरीज प्रतिनिधियों की उपस्थिति में आयोजित किया गया। सम्मेलन में पुनर्जनन चिकित्सा (Regenerative Medicine) और न्यूरोरेस्टोरेटोलॉजी के क्षेत्र में हो रहे नवीनतम शोध एवं प्रगति पर गहन चर्चा की गई।

सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम ने किया, जबकि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जे.पी. नड्डा ने वीडियो संदेश के माध्यम से प्रतिभागियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने भारत में पुनर्जनन चिकित्सा के क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर बल दिया।

इस सम्मेलन का प्रमुख विषय सेलुलर थैरेपी के माध्यम से पुनर्जनन चिकित्सा पर रहा, जो भारत के 2.68 करोड़ दिव्यांग नागरिकों के लिए उपचार की नई संभावनाएं प्रस्तुत करती है। यह भी उल्लेखनीय है कि भारत न्यूरोलॉजिकल बीमारियों पर वैज्ञानिक प्रकाशनों के मामले में विश्व में अग्रणी देशों में से एक है।

सोसाइटी ऑफ रिजनरेटिव साइंसेज (इंडिया) के अध्यक्ष डॉ. आलोक शर्मा ने कहा,

“पुनर्जनन चिकित्सा में हमारा कार्य उन मरीजों के लिए आशा की किरण है जिनके पास पारंपरिक उपचार के विकल्प समाप्त हो चुके हैं। हम सरकार से आग्रह करते हैं कि सेलुलर थैरेपी को आयुष्मान भारत योजना के तहत शामिल किया जाए ताकि यह जीवन-परिवर्तनकारी उपचार सभी मरीजों तक पहुँच सके।”

सम्मेलन के समापन दिवस पर बाल न्यूरोरेस्टोरेटोलॉजी (Pediatric Neurorestoratology) पर विशेष सत्र आयोजित किया गया, जिसमें ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD), व्यवहारिक चिकित्सा (Behavior Therapy) और माता-पिता के अनुभवों पर विशेष ध्यान दिया गया। चर्चाओं में साक्ष्य-आधारित उपचार, चिकित्सकों और परिवारों के बीच सहयोग, तथा बहु-विषयक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया गया ताकि न्यूरोविकास संबंधी विकारों से पीड़ित बच्चों को बेहतर सहयोग मिल सके।

सम्मेलन का सफल समापन भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों के लिए एक और मील का पत्थर साबित हुआ। आयोजकों ने घोषणा की कि अगला IANR सम्मेलन चीन में आयोजित किया जाएगा, जिससे इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग और ज्ञान-विनिमय की परंपरा को आगे बढ़ाया जाएगा।

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