जल्द आएगी भारत की पहली एंटी-टेरर नीति, बॉर्डर सुरक्षा और ऑनलाइन कट्टरपंथ पर नजर

जल्द आएगी भारत की पहली एंटी-टेरर नीति, बॉर्डर सुरक्षा और ऑनलाइन कट्टरपंथ पर नजर

भारत सरकार देश की पहली राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी नीति ला रही हैं। डिजिटल कट्टरपंथ, नेपाल सीमा का दुरुपयोग ओर विदेशी फंडिंग जैसे खतरों से से निपटने के लिए तैयार नीति, NIA जल्द करेगी साझा ।

भारत में केंद्र सरकार आतंकवाद को खत्म करने के लिए जल्द ही नई एंटी टेरर पॉलिसी रिलीज करने वाली है।  यह पॉलिसी सभी राज्यों के लिए आतंकी घटनाओं से निपटने और उनका जवाब देने का एक ब्लूप्रिंट तैयार करेगी। गृह मंत्रालय द्वारा तैयार की जा रही यह महत्वपूर्ण पालिसी डिजिटल कट्टरपंथी, खुली सीमाओं का दुरुपयोग और विदेशी खिलाड़ियों द्वारा आर्थिक रूप से समर्पित धर्मांतरण नेटवर्क इस पॉलिसी में उठाए गए मुख्य मुद्दों में से हैं।

कब हुई थी एंटी टेरर पॉलिसी की घोषणा

2024 नवंबर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नेशनल एंटी टेरर पॉलिसी ओर रणनीति जल्द लोगो तक पेश करने की घोषणा की थी। अब एक साल बाद NIA के एक अधिकारी ने बताया कि गृह मंत्रालय दस्तावेज़ को अंतिम रूप दे रहा हैं और NIA ने अभी अपने सुझाव दिए है। 26 और 27 दिसंबर को दिल्ली में एनआईए ने एक आतंकवाद विरोधी सम्मेलन का आयोजन कर रही है, जहां इस नीति की रूपरेखा साझा किए जाने की संभावना है।

सुरक्षा चूक के बाद कैसे तेज हुई NIA  की तैयारी

22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद एनआईए ने सभी राज्यों की आतंकवाद रोधी इकाइयों के साथ बैठक की और उन्हें ऐसे हमलों को रोकने और पहले से रोकथाम के लिए उपायों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने नेटग्रिड के उपयोग पर भी चर्चा की, जो कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए सरकारी और अन्य डाटाबेस तक पहुंचने का एक सुरक्षित मंच है।

पिछले कुछ महीनों में, एनआईए प्रमुख बृघु श्रीनिवासन ने कुछ राज्यों के पुलिस प्रमुखों को विदेशी वित्त पोषित धर्मांतरण रैकेट, ऑनलाइन कट्टरपंथ और आधार स्पूफिंग जैसे मुद्दों पर ब्रीफिंग दी है।

पड़ोशी देश की सीमा का दुरूपयोग

उत्तर प्रदेश के एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि ऑनलाइन उग्रवाद और नेपाल के साथ खुली सीमा का दुरुपयोग प्राथमिकता वाले मुद्दों के रूप में चिह्नित हो रहा हैं जिनका नई एंटी टेरर पॉलिसी में उल्लेख होने की संभावना है।
यूपी पुलिस अधिकारी ने  यह भी बताया कि  ऐसे मामले तब सामने आए हैं जब खालिस्तानी आतंकवादी नेटवर्क से जुड़े सदस्य विदेशी पासपोर्ट पर नेपाल आए, वे पासपोर्ट पड़ोसी देश में छोड़ देते हैं, खुली सीमा से भारत में प्रवेश करते हैं और फिर  यूपी-बिहार-नेपाल सीमा के माध्यम से पंजाब जाते हैं।

क्यों केंद्रित है आधुनिक युग पर ये पॉलिसी

सोशल मीडिया के माध्यम से विदेशी संगठनों द्वारा भारतीय युवाओं को कट्टरपंथ बनाने की साजिश को रोकना इस पॉलिसी की सर्वोच्च प्राथमिकता है। NIA अधिकारी ने कहा 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास कार आधारित आत्मघाती हमले के सिलसिले में गिरफ्तार डॉक्टरों की पूछताछ से यह भी पता चला कि उन्होंने ऑनलाइन कट्टरपंथी बनाया गया था।

यूपी के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि ऑनलाइन कट्टरपंथ से निपटने के लिए राज्यों से व्यापक फीडबैक लिया जा रहा है। उन्होंने आगे ये भी कहा कि हमारे संज्ञान में एक संगठित विदेशी वित्त पोषित कट्टरपंथी करण नेटवर्क आया है। वर्तमान में केवल कुछ ही पुलिस कर्मी इन खतरनाक चलन को पहचानने में सक्षम है।

भारत की यह पहली व्यापक एंटी टेरर पॉलिसी देश के सुरक्षा ढांचे में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगी, यह पॉलिसी ने केवल पारंपरिक आतंकवाद से निपटेगी बालिक डिजिटल युग में पल रहे साइबर क्राइम विदेशी साजिशों और सीमा पार आतंकवाद को जड़ से समाप्त कर एक मजबूत आधार तैयार करेगी।

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