एमईआरआई ने ICSSR सहयोग से आयोजित सेमिनार में शिक्षा के भविष्य पर प्रकाश डाला

एमईआरआई ने ICSSR सहयोग से आयोजित सेमिनार में शिक्षा के भविष्य पर प्रकाश डाला

दो दिवसीय ICSSR संगोष्ठी में शिक्षाविदों और नीति निर्माताओं ने साझा किए विचार

नई दिल्ली: “एनईपी 2020/2025: विकसित भारत 2047” विषय पर एमईआरआई ने ICSSR के सहयोग से दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की, जिसमें शिक्षा और नवाचार के महत्व पर चर्चा हुई।

कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती की वंदना और दीप प्रज्ज्वलन से हुई। इसके बाद राष्ट्रीय गान और अतिथियों का स्वागत किया गया। उद्घाटन सत्र में प्रो. (डा.) ललित अग्रवाल (उपाध्यक्ष, एमईआरआई), प्रो. (डा.) आर.के. मित्तल (कुलपति, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय) और श्री जे.के. दादू (सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी) ने शिक्षा, नवाचार और समावेशी विकास को विकसित भारत 2047 के लिए आवश्यक बताया। सत्र का समापन डॉ. दीपशिखा कालरा (डीन, एमईआरआई) के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।

मुख्य वक्ता श्री जे.के. दादू ने कहा कि शिक्षा में लचीलापन, कौशल आधारित सीख और तकनीक का समावेश समय की आवश्यकता है। उन्होंने शिक्षकों से आह्वान किया कि वे शिक्षण में नई सोच लाएँ और छात्रों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करें।

तकनीकी सत्रों में प्रो. (डा.) दुर्गेश त्रिपाठी और डॉ. आवा शुक्ला ने डिजिटल शिक्षा, मीडिया अध्ययन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और न्यूरल नेटवर्क्स जैसे विषयों पर अपने विचार रखे। दूसरे दिन प्रो. (डा.) नवीन चंद्रा और डॉ. सरिता जैन ने रचनात्मकता, आलोचनात्मक सोच और डिजिटल शिक्षा के माध्यम से शिक्षकों के सशक्तिकरण पर जोर दिया।

संगोष्ठी का समापन प्रमाणपत्र वितरण और वैलेडिक्टरी सत्र के साथ हुआ, जिसमें प्रतिभागियों के योगदान की सराहना की गई। इस दो दिवसीय कार्यक्रम ने एमईआरआई की शिक्षा, शोध और उद्योग-अकादमिक सहयोग के प्रति प्रतिबद्धता को एक बार फिर मजबूत किया।


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