De De Pyaar De 2 Review: हंसी-मज़ाक के बीच भटकी कहानी, माधवन चमके – रकुल ने किया निराश
अजय देवगन और रकुल प्रीत की सीक्वल फिल्म ‘De De Pyaar De 2’ की शुरुआत और अंत दमदार, लेकिन दूसरा हिस्सा कमजोर। आर माधवन ने अपनी परफॉर्मेंस से बाज़ी मार ली।
14 नवंबर 2025, नई दिल्ली
अजय देवगन और आर माधवन एक बार फिर दर्शकों को हंसाने आए हैं। इस बार कहानी रिश्तों, उम्र के फासले और पारिवारिक उलझनों को हल्के-फुल्के अंदाज़ में पेश करती है। 2019 में रिलीज हुई ‘De De Pyaar De ’ के छह साल बाद आए इस सीक्वल को बड़े पैमाने पर बनाया गया है, लेकिन क्या यह पहले भाग जितना असर छोड़ पाती है? आइए जानते हैं…
कहानी
फिल्म की कहानी वहीं से आगे बढ़ती है, जहां पहली फिल्म खत्म हुई थी। आयशा (रकुल प्रीत सिंह) अब आशीष (अजय देवगन) को अपने परिवार से मिलवाने चंडीगढ़ ले जाती है। आयशा के पिता (आर माधवन), मां (गौतमी कपूर), भाई और भाभी मिलकर बढ़िया-सा परिवार दिखाते हैं, जो बेटी के प्रेग्नेंट भाभी के साथ जश्न में डूबा हुआ है।
लेकिन मुश्किल तब आती है जब 28 साल की आयशा अपने 52 साल के बॉयफ्रेंड को घरवालों से मिलवाती है। उम्र का यह अंतर परिवार को कितना खटकता है? क्या वे आशीष को स्वीकार कर पाते हैं या रिश्ते उलझ जाते हैं? इसी यात्रा को फिल्म 2 घंटे 26 मिनट में दिखाती है।
कहानी कैसी बनी है?
फिल्म का फर्स्ट हाफ मज़ेदार है। हल्की-फुल्की कॉमेडी, रिलेटेबल मोमेंट्स और बढ़िया टाइमिंग दर्शकों को हंसाती है। लेकिन सेकंड हाफ आते-आते कहानी पटरी से उतर जाती है। इमोशन दिखाने के चक्कर में लेखक असली फील से भटक जाते हैं। कई सीन बिना वजह खिंचे हुए लगते हैं और पेसिंग कमजोर हो जाती है।
फिर भी, आर माधवन की मौजूदगी आपको स्क्रीन पर बनाए रखती है। क्लाइमैक्स का ट्विस्ट दिलचस्प है और अंतिम 15 मिनट फिल्म को फिर से मज़ेदार बना देते हैं।
एक्टिंग
आर माधवन – इस बार के स्टार
कॉमेडी, इमोशन और सख्त पिता… तीनों ही मोर्चों पर माधवन छा जाते हैं। उनकी हर अभिव्यक्ति पर आप जुड़ाव महसूस करते हैं। वह फिल्म की सबसे बड़ी ताकत हैं।
अजय देवगन – सीमित लेकिन प्रभावी
अजय देवगन का रोल कम संवादों वाला है। पूरे फिल्म में वह ज्यादातर एक्सप्रेशंस से काम चलाते हैं। लास्ट के 15 मिनट में वे सबसे ज़्यादा असर छोड़ते हैं। उनके 34 साल पुराने इंटेंस एक्सप्रेशंस इस बार भी काम आ जाते हैं।
रकुल प्रीत सिंह – सबसे कमजोर कड़ी
मुख्य फीमेल लीड होने के बावजूद रकुल प्रभावित नहीं करतीं। कॉमिक सीन में ठीक हैं, लेकिन इमोशनल सीन्स में ओवरएक्टिंग दिखती है। कई दमदार डायलॉग उनकी सपाट डिलीवरी से फीके पड़ जाते हैं।
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मीज़ान जाफरी
मीज़ान की एंट्री सेकंड हाफ में होती है। उन्हें स्टाइल, बॉडी और स्वैग दिखाने का पूरा मौका मिला है, और उन्होंने काम बखूबी निभाया है। कॉमेडी सीन में भी उनकी टाइमिंग ठीक है।
निर्देशन
अंशुल शर्मा का निर्देशन ठीक-ठाक है। कई जगह लगता है कि सीन जल्दी-जल्दी निपटाए गए हैं, खासकर सेकंड हाफ में। चंडीगढ़ और लंदन के बीच समय और दूरी भी अविश्वसनीय तरीके से दिखाई गई है। एडिटिंग और बेहतर हो सकती थी।
संगीत
पहली फिल्म की तरह यहां गाने उतने प्रभावी नहीं हैं। बस ‘3 शौक’ और ‘झूम बराबर’ बातचीत में हैं। सैड सॉन्ग और इमोशनल गाने उम्मीद पूरी नहीं कर पाते।
फिल्म की खूबियां
- मज़ेदार और मजबूत फर्स्ट हाफ
- दिलचस्प क्लाइमैक्स ट्विस्ट
- आर माधवन की दमदार परफॉर्मेंस
- फैमिली वॉच के लिए अच्छा विकल्प
फिल्म की कमियां
- रकुल प्रीत की कमजोर एक्टिंग
- सेकंड हाफ खिंचा हुआ
- एडिटिंग कमज़ोर
- कुछ सीन बिना कनेक्शन के
अगर आप वीकेंड पर हल्की-फुल्की फैमिली एंटरटेनमेंट तलाश रहे हैं, तो ‘De De Pyaar De 2’ एक सही विकल्प है। हालांकि यह पहली फिल्म जितनी पावरफुल नहीं है, फिर भी शुरुआत, माधवन की एक्टिंग और क्लाइमैक्स इसे एक बार देखने लायक जरूर बनाते हैं।
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