Dry Eyes: इन आदतों से कम हो रही है आंखों की प्राकृतिक नमी, समय रहते नहीं संभले तो जा सकती है रोशनी

Dry Eyes: इन आदतों से कम हो रही है आंखों की प्राकृतिक नमी, समय रहते नहीं संभले तो जा सकती है रोशनी

डिजिटल युग में बढ़ती आंखों की परेशानी: लगातार स्क्रीन देखने से आंखों की प्राकृतिक नमी घट रही है, जिससे जलन, लालपन और धुंधलापन जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।

नई दिल्ली, 30 अक्टूबर 2025

आज की डिजिटल लाइफस्टाइल ने हमारी आंखों की सेहत पर गहरा असर डाला है। कंप्यूटर, मोबाइल और लैपटॉप पर घंटों तक काम करना, एसी में लगातार रहना और नींद की कमी जैसी आदतें आंखों की प्राकृतिक नमी को कम कर रही हैं। नतीजतन, लोगों को आंखों में जलन, खुजली, लालपन और धुंधलापन जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

विशेषज्ञों के अनुसार, पहले आंखों की कमजोरी या मोतियाबिंद जैसी समस्याएं उम्र बढ़ने के साथ होती थीं, लेकिन अब ये परेशानी युवाओं और यहां तक कि बच्चों में भी देखने को मिल रही है। खासकर ड्राई आइज यानी आंखों में सूखापन, अब सबसे आम समस्या बन चुकी है।

बढ़ रहा है ड्राई आइज का खतरा

भारत में पिछले कुछ वर्षों में नेत्र रोग विशेषज्ञों के पास ड्राई आइज के मामलों में करीब 40% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि 20 से 40 वर्ष की उम्र के लोग तेजी से इस समस्या की चपेट में आ रहे हैं। अगर समय रहते इसका इलाज न कराया जाए तो यह समस्या कॉर्निया को नुकसान पहुंचा सकती है और धीरे-धीरे दृष्टि कमजोर होने लगती है।

डिजिटल स्क्रीन सबसे बड़ी वजह

नेशनल आई इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, डिजिटल आई स्ट्रेन अब शहरी युवाओं में ड्राई आइज की प्रमुख वजह बन गया है। आमतौर पर हम एक मिनट में 15 से 20 बार पलकें झपकाते हैं, लेकिन जब हम स्क्रीन पर फोकस करते हैं तो यह संख्या घटकर 6 से 8 बार रह जाती है। इससे आंखों में बनने वाली प्राकृतिक नमी कम हो जाती है और उनमें सूखापन बढ़ जाता है।

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एसी का अधिक उपयोग भी हानिकारक

जो लोग दिनभर एयर कंडीशनर वाले माहौल में रहते हैं, उन्हें ड्राई आइज का खतरा और बढ़ जाता है। अमेरिकन ऑप्टोमेट्रिक एसोसिएशन के अनुसार, कम नमी वाले वातावरण (लो ह्यूमिडिटी) में ड्राई आइज का खतरा 50% तक बढ़ जाता है। इसलिए विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि कमरे में ह्यूमिडिफायर का उपयोग करें या बीच-बीच में एसी बंद रखें, ताकि आंखों में नमी बनी रहे।

नींद की कमी और पोषण की अनदेखी

नींद की कमी भी ड्राई आइज का एक बड़ा कारण है। शोध बताते हैं कि जो लोग रोजाना पांच घंटे से कम सोते हैं, उनमें इस समस्या की संभावना दोगुनी होती है। नींद पूरी न होने से आंखों की मांसपेशियां थकी रहती हैं, जिससे जलन और सूखापन बढ़ जाता है।

इसके अलावा, कॉन्टैक्ट लेंस पहनने वाले लगभग 50-60% लोगों में भी ड्राई आइज का जोखिम पाया गया है।
ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन-ए और पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन न करना भी इस समस्या को बढ़ाता है। ओमेगा-3 आंखों की नमी बनाए रखने में मदद करता है, जबकि विटामिन-ए कॉर्निया को स्वस्थ रखता है।

क्या करें बचाव के लिए

  • डिजिटल स्क्रीन का उपयोग सीमित करें और हर 20 मिनट में 20 सेकंड का ब्रेक लें।
  • पलकें बार-बार झपकाने की आदत डालें।
  • पर्याप्त नींद लें और आहार में विटामिन-ए व ओमेगा-3 से भरपूर चीजें शामिल करें।
  • दिनभर में पर्याप्त पानी पिएं और एसी के अत्यधिक उपयोग से बचें।

आंखें हमारे जीवन की सबसे कीमती संपत्ति हैं। अगर समय रहते इन छोटी-छोटी बातों पर ध्यान न दिया जाए, तो ड्राई आइज जैसी समस्या आगे चलकर दृष्टि हानि का कारण भी बन सकती है।

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