World Stroke Day 2025: स्ट्रोक से पहले दिखते हैं ये 4 खतरे के संकेत, तीसरा लक्षण भूलकर भी न करें नजरअंदाज

World Stroke Day 2025: स्ट्रोक से पहले दिखते हैं ये 4 खतरे के संकेत, तीसरा लक्षण भूलकर भी न करें नजरअंदाज

स्ट्रोक से हर चार मिनट में एक व्यक्ति की मौत, समय रहते लक्षण पहचानने से बच सकती है जान और कम हो सकता है नुकसान।

29 अक्टूबर 2025, नई दिल्ली

हर साल 29 अक्टूबर को वर्ल्ड स्ट्रोक डे (World Stroke Day) मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य लोगों को इस जानलेवा बीमारी के खतरों और शुरुआती लक्षणों के प्रति जागरूक करना है। स्ट्रोक यानी मस्तिष्क आघात आज के समय में दुनिया भर में मृत्यु और विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक बन चुका है। विश्व स्वास्थ्य रिपोर्ट के अनुसार, हर 4 मिनट में एक व्यक्ति की मौत स्ट्रोक से होती है।

स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त का प्रवाह अचानक रुक जाता है या बहुत कम हो जाता है, जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं ऑक्सीजन की कमी के कारण मरने लगती हैं। यह स्थिति बेहद गंभीर होती है, लेकिन अच्छी बात यह है कि अगर इसके शुरुआती संकेतों को पहले 60 मिनट (गोल्डन आवर) के भीतर पहचान लिया जाए और उपचार शुरू कर दिया जाए, तो मरीज की जान बचाई जा सकती है और लंबे समय तक होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है।

डॉक्टरों के अनुसार, स्ट्रोक के लक्षणों को याद रखने का सबसे आसान तरीका है ‘FAST’ नियम — यानी Face, Arm, Speech, Time। अगर इन चार लक्षणों में से कोई भी दिखे, तो तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। आइए जानते हैं विस्तार से —

F (Face – चेहरे का लटकना)

स्ट्रोक का सबसे पहला और सबसे स्पष्ट संकेत चेहरे से जुड़ा होता है। यदि किसी व्यक्ति का चेहरा अचानक टेढ़ा दिखने लगे या उसके चेहरे के एक हिस्से में कमजोरी महसूस हो, तो यह स्ट्रोक का शुरुआती लक्षण हो सकता है। ऐसे में मरीज से मुस्कुराने के लिए कहें — अगर मुस्कान असमान लगे या मुंह के कोने से लार बहने लगे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

A (Arm – बांह या हाथ की कमजोरी)

दूसरा संकेत शरीर की ताकत से जुड़ा होता है। अगर किसी व्यक्ति के एक हाथ या दोनों हाथ अचानक सुन्न पड़ जाएं या कमजोर लगें, तो यह स्ट्रोक का संकेत हो सकता है। मरीज से कहें कि वह दोनों हाथ ऊपर उठाए — अगर एक हाथ नीचे गिर जाए या उठाने में मुश्किल हो, तो इसे हल्के में न लें। यह मस्तिष्क में रक्त प्रवाह रुकने की चेतावनी है।

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S (Speech – बोलने में दिक्कत)

यह स्ट्रोक का सबसे गंभीर और महत्वपूर्ण संकेत है। यदि व्यक्ति अचानक अस्पष्ट बोलने लगे, शब्द लड़खड़ाने लगें, या वह बात तो समझे लेकिन बोल न पाए — तो यह मस्तिष्क को गंभीर नुकसान पहुंचने का संकेत है। इसे नींद, थकान या डर से जोड़ने की गलती न करें। तुरंत चिकित्सा सहायता लें।

T (Time – तुरंत मदद लें)

अगर ऊपर बताए गए तीन लक्षणों में से कोई भी दिखाई दे, तो एक सेकंड भी बर्बाद न करें। ‘T’ का मतलब है — Time to Act. यानी तुरंत एम्बुलेंस को कॉल करें और मरीज को नजदीकी अस्पताल ले जाएं। स्ट्रोक के बाद के शुरुआती मिनटों को “गोल्डन आवर” कहा जाता है। इस समय के भीतर इलाज शुरू करने से जान बचने और स्थायी विकलांगता कम होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।

युवाओं में भी तेजी से बढ़ रहा है खतरा

पहले स्ट्रोक को बुजुर्गों की बीमारी माना जाता था, लेकिन अब यह 30 से 40 साल के युवाओं में भी तेजी से बढ़ रहा है। उच्च रक्तचाप (हाई बीपी), डायबिटीज, मोटापा, धूम्रपान, तनाव और असंतुलित जीवनशैली इसके प्रमुख कारण हैं।

इसलिए जरूरी है कि हर व्यक्ति अपने शरीर के इन संकेतों को समझे और लापरवाही न करे। याद रखें — स्ट्रोक का समय पर इलाज ही जीवन बचाने की सबसे बड़ी चाबी है।

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