Chhath Puja 2025: 25 अक्टूबर से शुरू होगा लोक आस्था का महापर्व, जानिए नहाय-खाय से लेकर परना तक का पूरा शेड्यूल

Chhath Puja 2025: 25 अक्टूबर से शुरू होगा लोक आस्था का महापर्व, जानिए नहाय-खाय से लेकर परना तक का पूरा शेड्यूल

डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा से जुड़ा Chhath Puja का पर्व सूर्योपासना और प्रकृति के प्रति आभार का प्रतीक है।

23 अक्टूबर 2025, नई दिल्ली

सूर्य उपासना का पावन पर्व Chhath Puja इस साल 25 अक्टूबर 2025 से आरंभ हो रहा है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व पूर्वी भारत, खासकर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बेहद श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है और इसका समापन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होता है।

Chhath Puja का महत्व

Chhath Puja सूर्य देव और छठी मैया की आराधना का पर्व है। महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र, परिवार की सुख-समृद्धि और आरोग्य की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं। यह व्रत बेहद कठिन माना जाता है, क्योंकि इसमें महिलाएं 36 घंटे तक बिना अन्न और जल ग्रहण किए व्रत का पालन करती हैं।

दिवाली के बाद से ही घरों में Chhath Puja की तैयारी शुरू हो जाती है — घर की सफाई, प्रसाद के बर्तनों की पवित्रता और पूजा स्थल की सजावट का खास ध्यान रखा जाता है।

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Chhath Puja 2025 का पूरा कैलेंडर

1. नहाय-खाय – 25 अक्टूबर 2025 (शनिवार)
Chhath Puja की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इस दिन व्रती महिलाएं स्नान कर शरीर और मन को शुद्ध करती हैं। नदी या तालाब में स्नान कर घर लौटने के बाद सात्विक भोजन किया जाता है। आज के समय में जो महिलाएं नदी तक नहीं जा पातीं, वे घर पर ही स्नान कर पूजन की शुरुआत करती हैं। नहाय-खाय के दिन आमतौर पर लौकी-भात और चने की दाल का सेवन किया जाता है।

2. खरना – 26 अक्टूबर 2025 (रविवार)
नहाय-खाय के अगले दिन खरना का विधान होता है। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं और शाम को गुड़ की खीर, रोटी और केले का प्रसाद तैयार किया जाता है। खरना पूजा के बाद यह प्रसाद सूर्य देव को अर्पित कर व्रती ग्रहण करती हैं। इसी क्षण से 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत आरंभ हो जाता है, जिसमें ना जल पिया जाता है, ना अन्न ग्रहण किया जाता है।

Chhath Puja का चरम उत्सव

खरना के बाद तीसरे और चौथे दिन शाम और सुबह सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा होती है।

संध्या अर्घ्य — डूबते सूर्य को दिया जाता है।

उषा अर्घ्य — उगते सूर्य को अर्पित किया जाता है, जिसके साथ व्रत का समापन (परना) होता है।

Chhath Puja केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आस्था, अनुशासन और समर्पण का प्रतीक है। यह त्योहार न सिर्फ सूर्य देव की उपासना का माध्यम है, बल्कि परिवारिक एकता, पवित्रता और सामाजिक सौहार्द का भी संदेश देता है।

इस वर्ष 25 से 28 अक्टूबर तक मनाया जाने वाला Chhath Puja पर्व एक बार फिर पूरे देश में श्रद्धा, भक्ति और उत्साह का रंग बिखेरेगा।

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